जैव विविधता में कमी प्रमुख कारण
मदस विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुब्रोतो दत्ता ने बताया कि कि शहरों के व्यस्ततम जीवन चक्र, जैव विविधता में कमी से गौरेया को नुकसान हो रहा है। पहले खेतों में गोबर और प्राकृतिक खाद से भोजन मिल जाता था। घरों की आधुनिक बनावट, खाद्य और पानी की समस्या के चलते 35 से 40 प्रतिशत गौरेया कम हो चुकी है।प्राकृतिक आवास पर संकट
25-30 साल पूर्व तक पुरानी डिजाइन के मेहराबदार और जालियां वाले घरों और पेड़ों में आश्रय मिलता था। गौरेया को बबूल, कनेर, अमरूद, नींबू, अनार, मेहंदी, बांस और घने पेड़ पसंद हैं। शहरों में प्राकृतिक घौसले बनाने के लिए उपयुक्त जगह नहीं मिल रही है।बीकानेर में दर्दनाक हादसा, तेज रफ्तार ट्रक ने मारी टक्कर, 3 बाइक सवार की मौके पर मौत, एक युवक का सिर धड़ से अलग हुआ
कई राज्यों में स्थिति खराब
इंडियन काउंससिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च गौरेया पर सर्वेक्षण कर रही है। इसके अनुसार आंध्र प्रदेश में 75 फीसदी, राजस्थान में 40 फीसदी, ओडिशा, गुजरात, तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक के शहरी इलाकों में 25 से 30 प्रतिशत तक गौरेया कम हो चुकी हैं।राजस्थान में शिक्षकों को अब तक नहीं मिला फरवरी का वेतन, रोष
यह है नुकसानदायक
1- 35 से 40 प्रतिशत तक मोबाइल टावर से उत्सर्जित तरंगें।2- 50 से 60 प्रतिशत मकान में आधुनिक डिजाइन का प्रयोग।
3- 40 से 45 प्रतिशत जलाशयों के वेटलैंड पर अतिक्रमण।
4- 50 प्रतिशत खेतों में कीटनाशकों का इस्तेमाल।
5- 35 से 45 प्रतिशत तक बढ़ा शहरों में प्रदूषण।
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प्रकृति की सुरक्षा में गौरेया का अहम योगदान
प्रकृति की सुरक्षा में गौरेया का अहम योगदान रहा है। यह कीट नियंत्रण, पारिस्थितिकी संतुलन, पौधों में निश्चेन करती है। बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, सिमटते जल और खाद्यान स्त्रोत के चलते इसका जीवन खतरे में है।Good News : 1 अप्रैल से बढ़ेगा राजस्थान में राशन डीलर्स का कमीशन, आदेश जारी
गौरेया को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं हम
गौरैया संरक्षण के लिए छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।पक्षियों के लिए दाना पानी रखें – घर या बगीचे में पानी और अनाज के लिए परिंडे लगाए।
घोसला बनाने की जगह – लकड़ी के छोटे घर या पुराने बक्सों को घोंसले के रूप में तब्दील करे।
कीटनाशकों का काम प्रयोग करें – जैविक खेती को अपनाकर गौरैया के लिए भोजन की व्यवस्था हो सकती है।
अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं – देसी पेड़ पौधे लगाएं, ये पौधे कीट पतंगों को आकर्षित करते हैं। गौरैया के लिए फायदेमंद होते हैं।
जागरूकता – गौरैया की संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाएं।