इंग्लिश मीडियम स्कूलों पर चर्चा
इस दौरान डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि हम छात्रों और उनके अभिभावकों के हित को ध्यान में रखते हुए काम करेंगे। पहली बैठक में प्रजेंटेशन लिया गया है, जबकि अगली बैठक में रिव्यू रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। बैठक में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और अन्य मंत्री भी मौजूद रहे। चर्चा का मुख्य बिंदु यह था कि जिन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में नामांकन कम है और सुविधाओं का अभाव है, उन्हें फिर से हिंदी माध्यम में बदला जा सकता है। इस बैठक में यह संकेत दिए गए कि राज्य में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की संख्या घट सकती है। महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा में यह पाया गया कि कुछ स्कूलों में नामांकन बेहद कम है और सुविधाओं का भी अभाव है। इन स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदला जा सकता है।
हिंदी के बाद अंग्रेजी स्कूलों पर असर
बता दें, हाल ही में राजस्थान सरकार ने 450 से अधिक हिंदी माध्यम स्कूलों को बंद किया था। इनमें से कई स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में मर्ज कर दिया गया। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा था कि ये निर्णय छात्रों के कम नामांकन और स्कूलों की बेहतर संसाधन उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। अब यही प्रक्रिया अंग्रेजी माध्यम स्कूलों पर भी लागू हो सकती है। बताया जा रहा है कि जिन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है और छात्रों की संख्या कम है, वहां पुनर्गठन का विचार किया जा रहा है।
हिंदी स्कूलों पर हो चुका है निर्णय
बताते चलें कि राजस्थान में हाल ही में 450 हिंदी माध्यम स्कूल बंद किए गए थे। शिक्षा विभाग के मुताबिक, इनमें से 260 स्कूलों को चार दिन पहले बंद किया गया है। शेष 190 स्कूल पहले ही बंद कर दिए गए थे। इन स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम थी। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा था कि कुछ स्कूलों में छात्रों की संख्या नगण्य थी। एक ही कैंपस में तीन-तीन स्कूल चल रहे थे। इसलिए इनका मर्जर किया गया है। इससे शिक्षकों और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
अंग्रेजी स्कूलों पर अंतिम फैसला जल्द
गौरतलब है कि भजनलाल सरकार द्वारा गठित उपसमिति की अगली बैठक में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह फैसला राज्य में शिक्षा के बेहतर प्रबंधन और संसाधनों के सही उपयोग को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा। सरकार का कहना है कि यह सभी निर्णय छात्रों के हित और शिक्षा के स्तर को सुधारने के उद्देश्य से लिए जा रहे हैं।