दरअसल, हाल ही में हुए विधानसभा सत्र में विधायक रितु बनावत और हरलाल सारण ने बाजरे की MSP पर खरीदारी को लेकर सवाल उठाए थे। अब सरकार की ओर से भेजे गए जवाब में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इस साल बाजरे की MSP पर खरीदारी नहीं की जाएगी।
अशोक गहलोतन ने बताया जुमला
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि जुमला बन गई “मोदी की गारंटी”? भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में पेज संख्या 20 पर वादा किया था कि राजस्थान में सरकार आने पर ज्वार एवं बाजरा की खरीद MSP पर की जाएगी। परन्तु विधानसभा में एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया है कि राजस्थान सरकार बाजरे की MSP पर खरीद नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को 12,000 रुपये प्रतिवर्ष किसान सम्मान निधि देने, गेहूं की खरीद 2700 रु प्रति क्विंटल पर करने जैसे वादों से पहले ही मुकर चुकी है। इसी कड़ी में अब किसानों के साथ धोखाधड़ी करते हुए बाजरे की MSP पर खरीद के झूठ का पर्दाफाश हुआ है।
गहलोत ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले हर भाषण में प्रधानमंत्री जी एवं पूरी भाजपा “मोदी की गारंटी” बोलते थे पर अब ये गारंटी केवल जुमला साबित हो रही है क्योंकि न ये सरकार हमारी योजनाओं को चालू रख पा रही है और न ही अपने वादे पूरे कर पा रही है।
किसानों से कुठाराघात- डोटासरा
राजस्थान पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने कहा कि किसानों को ‘झटका’ देना, प्रताड़ित करना एवं उनके अधिकारों को छीनना भाजपा सरकारों की अघोषित नीति रही है। राजस्थान में सत्ता में आने से पहले भाजपा ने MSP पर बाजरा खरीद का वादा किया था लेकिन अब वादाखिलाफी करके उन्हें धोखा दे रही है। भाजपा का दोहरा मापदंड देखिए.. एक तरफ केंद्र सरकार श्रीअन्न योजना में मोटे अनाज को बढ़ावा देने का दावा कर रही है जबकि दूसरी ओर राज्य की भाजपा सरकार बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने से इनकार कर रही है।
केंद्रीय कृषि मंत्री कहते हैं कि वो राज्य सरकार की मंशा पर उनके सहयोग से खरीद की व्यवस्था करते हैं, तो फिर बाजरा का MSP देने से डबल इंजन की सरकार को कौन रोक रहा है? राजस्थान बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है लेकिन फिर भी प्रदेश में बाजरे की खरीद MSP पर नहीं होना किसानों से कुठाराघात है।
BJP ने संकल्प पत्र में किया था ये वादा
बताते चलें कि 2023 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में वादा किया था कि, “हम एमएसपी पर ज्वार एवं बाजरा की खरीद की व्यवस्था करेंगे एवं श्री अन्न प्रमोशन एजेंसी की स्थापना करेंगे।” भजनलाल सरकार ने दिया ये कारण
बताते चलें कि विधानसभा में लगाए गए सवाल के जवाब में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने कहा है कि पिछली सरकार ने बाजरे की खरीद नहीं की थी। तत्कालीन गहलोत सरकार ने कारण बताया था कि बाजरे की खरीद सार्वजनिक वितरण प्रणाली में उपयोगिता नहीं होने और बिना सप्लाई के स्टॉक बढ़ने से वित्तीय संकट हो सकता है। अब मौजूदा सरकार ने भी समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीद नहीं करने की वजह उसी तरह की बताते हुए कहा कि जन कल्याणकारी योजनाओं में मोटे अनाज की मांग नगण्य है।