अशोक गहलोत ने इस दौरान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी उसी राजनीतिक उथल-पुथल की ‘देन’ बता दिया, जिससे कांग्रेस के भीतर नए सियासी संकेतों की चर्चा शुरू हो गई है।
‘डोटासरा उसी की देन हैं’- गहलोत
इस दौरान अशोक गहलोत ने कहा कि तीन बार मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल पूरा करना आसान नहीं होता। तीसरी बार तो आपको मालूम है… सरकार गिरते-गिरते बची। वह एक चमत्कार था। हाईकमान का आशीर्वाद और आपकी दुआओं से ही पांच साल पूरे किए। डोटासरा भी उसी की देन हैं। बताया जा रहा है कि यह बयान सीधे तौर पर जुलाई 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत की ओर इशारा था, जब तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। बाद में पायलट को प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम पद से हटाकर गोविंद सिंह डोटासरा को कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
गहलोत ने खुद को बताया ‘जादूगर’
गहलोत ने राजनीति में अपने अनुभवों को एक जादूगर की तरह समझाते हुए कहा कि हम जादूगर हैं। हम तो सिर्फ ट्रिक करते हैं, लोग कहते हैं जादू हो गया। असल में यह ट्रिक होती है, पर इतनी सफाई से की जाती है कि लोग उसे चमत्कार मान बैठते हैं। उन्होंने एआई (Artificial Intelligence) को भी इसी संदर्भ में जोड़ा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इसे अपनाने की सलाह दी।
गहलोत मोदी-शाह पर कसा तंज
गहलोत ने बगैर नाम लिए केंद्र की सत्ता की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब देश में नंबर 1 और नंबर 2 यह तय कर लें कि सरकार गिरानी है तो फिर कुछ भी हो सकता है। मध्यप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र में यही हुआ। राजस्थान में हम बच गए, यह चमत्कार ही था। बता दें, यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना था, जिन्हें कांग्रेस सरकारें गिराने का आरोप गहलोत पहले भी लगा चुके हैं।
राजीव गांधी की विरासत को किया याद
गहलोत ने अपने भाषण की शुरुआत राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए की। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी कम उम्र में प्रधानमंत्री बने। संचार क्रांति, सूचना प्रौद्योगिकी और पंचायती राज जैसी ऐतिहासिक पहलें उनकी दूरदृष्टि का परिणाम थीं। आज के युवा को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि नई पीढ़ी को भ्रमित किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि पिछड़ों और गरीबों को आगे बढ़ाने का काम कांग्रेस ने किया है।
प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज
गौरतलब है कि गहलोत का यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस राजस्थान में नए सिरे से संगठनात्मक मजबूती की कोशिश में जुटी है। गोविंद सिंह डोटासरा को मानेसर प्रकरण की देन बताने के पीछे क्या मंशा थी? इन सवालों ने सियासी हलकों में चर्चाओं का नया दौर शुरू कर दिया है।