डोटासरा ने एक्स पर लिखा कि ‘माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बिना OBC सर्वे के नगर निकाय एवं पंचायती चुनावों में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। भाजपा को चाहिए था कि सरकार बनते ही OBC सर्वे के लिए आयोग गठित कर सर्वेक्षण का काम शुरू करें, लेकिन डेढ़ साल में कोई काम नहीं हुआ।’
‘सरकार की अब जाकर खुली नींद’
उन्होंने आगे लिखा कि ‘अब जाकर सरकार की नींद खुली है, तो राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की गई है। लेकिन परिसीमन के प्रक्रिया के दौरान 3 माह की अवधि में OBC की गणना सरकार की नीयत और पारदर्शिता पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगाती है।’ डोटासरा चुनाव टालने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘असल में भाजपा सरकार की मंशा नगर निकाय और पंचायत राज चुनाव टालने की है। पहले परिसीमन और फिर OBC सर्वेक्षण के नाम पर भाजपा सरकार का उद्देश्य चुनावों को अटकाना और लोकतांत्रिक व्यवस्था में मनमुताबिक निर्णय करके संविधान की धज्जियां उड़ाना है।’
सरकार ने पूर्व डीजे मदनलाल को बनाया आयोग अध्यक्ष
राजस्थान सरकार ने सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश मदनलाल को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, वहीं, मोहन मोरवाल, प्रो. राजीव सक्सेना, एडवोकेट गोपाल कृष्ण व पवन मंडाविया को सदस्य नियुक्त किया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं। इसके अनुसार आयोग का कार्यकाल तीन माह का होगा, जिसे आगे बढ़ाया जा सकेगा। राज्य ओबीसी (राजनीतिक प्रतिनिधित्व) आयोग का गठन पहली बार किया गया है, जो पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों में ओबीसी जातियों को आरक्षण देने से सम्बन्धित मैकेनज्मि तय करेगा।