इसके पीछे यह भी वजह है कि कई कंपनी रियायती दर पर जमीन चाहती हैं, पर सरकार अभी ‘वेट एंड वॉच’ के मूड में है ताकि, अक्षय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की जरूरत के अनुरूप निर्णय लिया जा सके। सूत्रों के मुताबिक कुछ कंपनियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय को लंबित प्रस्तावों को आगे बढ़ाने की जरूरत जताई है। ऊर्जा विभाग और अक्षय ऊर्जा निगम इस पर होमवर्क कर रहे हैं।
इन कंपनियों के प्रस्तावित प्रोजेक्ट…
कंपनी – अक्षय ऊर्जा – ग्रीन हाइड्रोजन – प्रोजेक्ट लोकेशन
रिन्यू सोलर – 1250 – 50 – कोटा/झालावाड़ अवाडा वेंचर्स – 4550 – 182 – कोटा टोरेंट पावर – 4000 – 160 – कोटा/झालावाड़/प्रतापगढ़ अदानी कंपनी – 50000 – 2000 – जैसलमेर एचपीसीएल – 6000 – 240 – कोटा/झालावाड़/मित्तल एनर्जी प्रतापगढ़/बांसवाड़ा ए.सी. सोल्यूशन – 4200 – 168 – कोटा/झालावाड़ *अक्षय ऊर्जा मेगावाट में और ग्रीन हाइड्रोजन क्षमता किलो टन प्रति वर्ष है।
2800 किलो टन प्रति वर्ष क्षमता के प्रोजेक्ट 70 हजार मेगावाट अक्षय ऊर्जा भी 350 रुपए प्रति किलो ग्रीन हाइड्रोजन लागत आने का अनुमान
जल आवंटन भी चुनौती
ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए जल चाहिए। इसके लिए ऐसी जगह प्रोजेक्ट लगाएंगे, जहां आसानी से पानी की उपलब्धता हो। प्रदेश में पानी की कमी और जरूरत किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में इन प्रोजेक्ट के लिए जल आवंटन प्रक्रिया चुनौती से कम नहीं होगी। जल संसाधन विभाग मुख्य भूमिका में होगा।
अब भी रियायत कम नहीं
क्लीन एनर्जी पॉलिसी के तहत अक्षय ऊर्जा व ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स को केवल 1 रुपए टोकन राशि पर रजिस्टर्ड करने का प्रावधान किया है। भले ही प्रोजेक्ट कितने ही मेगावाट क्षमता के क्यों न हो। जबकि, पहलेतक 30 हजार रुपए प्रति मेगावाट रजिस्ट्रेशन चार्ज लिया जा रहा था। राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (रिप्स) में 1 लाख रूपए प्रति मेगावाट लेंगे, जबकि पहले यह 5 लाख रु. प्रति मेगावाट थी। राज्य सरकार को दी गई जीएसटी में निर्धारित राशि कंपनियों को वापिस मिल सकेगी। (यदि वे स्थानीय मैन्यूफैक्चरर्स से इस प्रोजेक्ट से संबंधित उपकरण खरीदते हैं तो)
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, भू-रूपांतरण शुल्क में शत-प्रतिशत और व्हीलिंग चार्ज में 50 प्रतिशत तक छूट। यदि प्रोजेक्ट की जमीन का हस्तांतरण ग्रुप कंपनी की किसी सहायक या नियंत्रित कंपनी को करते हैं तो निर्धारित लीज शुल्क 150 प्रतिशत की बजाय 100 प्रतिशत लेंगे।