scriptInspiring Stories: 84 साल की मां ने दी बेटी को नई ज़िंदगी, जयपुर में किडनी दान कर रचा इतिहास | Inspiring Stories: 84-year-old mother gave new life to her daughter, created history by donating kidney in Jaipur | Patrika News
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Inspiring Stories: 84 साल की मां ने दी बेटी को नई ज़िंदगी, जयपुर में किडनी दान कर रचा इतिहास

Real Life Hero: बेटी की तकलीफ देख मां ने कहा – ‘मेरी जान से उसकी जान बचे तो मंज़ूर है’, एसएमएस अस्पताल में ऐतिहासिक सर्जरी, 84 वर्षीय मां बनीं सबसे उम्रदराज डोनर

जयपुरMay 28, 2025 / 01:03 pm

rajesh dixit

भरतपुर निवासी 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने अपनी बेटी को किडनी डोनेट की। फोटो-पत्रिका।

भरतपुर निवासी 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने अपनी बेटी को किडनी डोनेट की। फोटो-पत्रिका।

Organ Donation: जयपुर। मां सिर्फ जन्म नहीं देती, ज़रूरत पड़े तो वो अपनी सांसें भी अपनी औलाद में उतार देती है। ऐसी ही एक मिसाल बनी जयपुर की 84 वर्षीय एक मां, जिन्होंने अपनी बेटी को ज़िंदगी की दूसरी सुबह दी — वो भी अपने जिस्म का हिस्सा देकर। भरतपुर निवासी 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला बुद्दो देवी ने अपनी बेटी गुड्डी देवी को किडनी डोनेट की।

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50 वर्षीय बेटी क्रॉनिक किडनी डिज़ीज (CKD) से जूझ रही थी। हर तीसरे दिन अस्पताल की डायलिसिस मशीन से बंधी यह महिला, धीरे-धीरे टूट रही थी। जीवन की उम्मीदें कम होती जा रही थीं। पर तभी, एक ऐसा फैसला सामने आया जिसने न सिर्फ उस परिवार की किस्मत बदली, बल्कि चिकित्सा और ममता – दोनों को एक नई परिभाषा दी।

“अगर मेरी जान से उसकी जान बच सकती है, तो मैं तैयार हूं”

जब डॉक्टरों ने परिजनों से किडनी डोनर तलाशने की बात की, तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि यह जिम्मेदारी खुद मां उठाएंगी। 84 साल की इस महिला ने डॉक्टरों से दो टूक कहा, “मेरी बेटी का जीवन बचाना है तो मेरी किडनी ले लीजिए।”
सुनकर हर कोई चौंका, क्योंकि आमतौर पर 60 से अधिक उम्र में अंगदान को जोखिमभरा माना जाता है। लेकिन यह मां न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ थीं, बल्कि मानसिक रूप से बेहद दृढ़।

डॉक्टरों की टीम ने किया असंभव को संभव

एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर के यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग ने इस असाधारण मामले को गंभीरता से लिया। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. धनंजय अग्रवाल ने डोनर मां की काउंसलिंग की और हर तरह से फिट पाया।
इसके बाद यूरोलॉजिस्ट डॉ. नीरज अग्रवाल और उनकी टीम ने जटिल सर्जरी की ज़िम्मेदारी संभाली। आधुनिक तकनीक और पूरी विशेषज्ञता के साथ ट्रांसप्लांट किया गया — और नतीजा रहा चमत्कारी।

सर्जरी के तीन दिन में मां घर लौटीं, बेटी ICU में स्वस्थ

ऑपरेशन के बाद 84 वर्षीय मां को यूरोलॉजी ICU में रखा गया। पर सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि सर्जरी के महज तीन दिन बाद ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
वहीं, बेटी की स्थिति भी स्थिर है। ट्रांसप्लांट की गई किडनी अच्छी तरह काम कर रही है और डॉक्टरों के मुताबिक वह जल्द ही सामान्य जीवन की ओर लौट सकती हैं।

“उम्र सिर्फ एक संख्या है, ममता की कोई सीमा नहीं”

यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. शिवम् प्रियदर्शी कहते हैं, “यह केस चिकित्सा की दृष्टि से अभूतपूर्व है। यह उन परिवारों को नई आशा देगा जो वृद्धावस्था को अंगदान में बाधा मानते हैं।”
डॉ. विनय मल्होत्रा (सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक) और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी ने भी ट्रांसप्लांट टीम को बधाई दी और इस केस को चिकित्सा की ‘जीवंत प्रेरणा’ कहा।

यह सिर्फ ऑपरेशन नहीं, ममता का यज्ञ था

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है — मां केवल जन्म देने वाली नहीं होती, वो ज़रूरत पड़ी तो अपने हिस्से का जीवन भी दे देती है। 84 वर्ष की इस मां का यह कदम सिर्फ बेटी के लिए नहीं, पूरे समाज के लिए एक संदेश है: “ममता कभी रिटायर नहीं होती।”

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