बाकी संसार, एक तरफ दिल्ली एक तरफ
सिंगर कैलाश खेर ने कहा कि किसी कारणवश जब उन्होंने घर छोड़ा तो दिल्ली आ गए। दिल्ली वालों की खासियत होती है कि वे किसी बात के लिए मना नहीं करते। दिल्ली में कुछ भी असंभव नहीं है। आप बोलिए जहाज खरीदना है, जवाब मिलेगा…मिल जाएगा।शर्म आती है गायिकी देखकर
कैलाश खेर ने बताया कि उनके पिता पंडित थे। वह कथा, यज्ञ करते थे और कभी-कभी सत्संग में जाते थे। उनका यह शौक, पैशन बन गया था। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि आज तो पैशन को ही शौक बना लिया है। आपने बहुत से गायकों को यह कहते सुना होगा कि मैं शौकिया गाता हूं। रील्स पर उनके मिलियन्स फोलोअर्स होते हैं लेकिन उनकी गायिकी देखकर शर्म आती है कि ये भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिता को देख कर उन्हें गाने से ज्यादा अध्यात्म की सूक्तियां पसंद आने लगीं और जब जड़ें गहरी होती हैं तो वृक्ष कल्पवृक्ष बन जाता है।Jaipur Literature Festival 2025 : जेएलएफ हमारा गौरव है…सचिन पायलट ने महाकुंभ, केंद्रीय बजट पर दिए बिंदास जवाब
ट्रक भी चलाया है
सिंगर कैलाश खेर ने बताया कि एक बार वे लाइसेंस बनवाने वाले एजेंट के पास गए। एजेंट ने पूछा कि प्राइवेट चाहिए या कमर्शियल तो उन्हें कमर्शियल शब्द अच्छा लगा तो वही बनवा लिया। दोस्तों ने कहा कि अब तुम ट्रक भी चला सकते हो, तो वह घबरा कर लाइसेंस बदलवाने पहुंचे। तो पता चला कि इसके 250 रुपए लगेंगे। इतने पैसे थे नहीं, तो फिर उन्होंने ट्रक ही चला लिया। इसके बाद लैटर प्रिंटिंग प्रेस, अखबार में भी काम किया।Jaipur Literature Festival 2025 : AI बहुत पावरफुल चीज, सुधा मूर्ति बोली- यह दिमाग की भाषा समझता है, दिल की नहीं
दस वर्ष पहले बोया बीज अब हुआ अंकुरित
कैलाश खेर की ‘तेरी दीवानी… शब्दों के पार’ की रूपरेखा 10 साल पहले ही बन गई थी। उन्होंने बताया कि बहुत सारे लोग उनसे उनके हर गाने की लिखावट के पीछे छिपी कहानी को जानना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस किताब को लिखा। समय नहीं मिला लेकिन 10 वर्ष पहले बोया बीज अब अंकुरित हुआ है।Gold-Silver Price : बजट से पहले पीक पर पहुंचा सोने का भाव, जानें उदयपुर में सोने-चांदी की कीमतें
शुरुआत जिंगल से, फिर बनाया बैंड
कैलाश खेर ने बताया कि उन्हें सबसे पहले एक जिंगल गाने को मिला, लेकिन उन्हें पता नहीं था जिंगल क्या होता है। उन्होंने कहा कि आजकल जो कुछ नहीं जानते, वे आइ नो…यू नो का इस्तेमाल बड़ा करते हैं। उन्होंने भी ऐसा ही किया। पहले जिंगल के बाद उन्हें लगातार सफलता मिलती गई और पहला गाना उन्होंने ‘अल्लाह के बंदे’ गाया और इसके बाद जो लोग यह कहते थे कि आपकी आवाज हीरो टाइप नहीं है, वे कहने लगे कि आपकी आवाज डिफरेंट है। उन्होंने कहा कि लोगों के फैन होते हैं, लेकिन मेरी फैमिली है। अब मैं कम इसलिए गाता हूं क्योंकि कम में दम होता है।Jaipur Literature Festival 2025 : जयपुर पहुंचे ब्रिटेन के पूर्व पीएम ऋषि सुनक, साहित्य के महाकुंभ में लेंगे हिस्सा
हमें देखना है कि तू जालिम कितना है
कैलाश खेर ने कहा कि उन्होंने जिंदगी में इतने रिजेक्शन झेले हैं कि वे अगली किताब ‘प्रॉडीजी ऑफ फेलियर’ लिखने वाले हैं। यह एक तरह से उनकी बायोग्राफी होगी। उन्हें न केवल दिल्ली में बल्कि मुंबई में भी ढेरों रिजेक्शन मिले। उन्होंने हंसते हुए कहा कि एमबीए टाइप लोग कहते थे कि तुहारी आवाज हीरो टाइप नहीं है।हमें तो यह देखना है कि तू जालिम कितना है उन्होंने कहा कि ये एमबीए टाइप लोग बड़े कन्यूज होते हैं और जो इनमें ज्यादा अच्छे कन्यूज होते हैं, वे सीईओ हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि अगर यहां कोई सीईओ है तो इसे दिल पर जरूर ले।