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Kotputali : वन्यजीवों का रक्षक साहसी युवा : ज़हर से खेलकर बचा चुके 1200 से ज्यादा सांपों की जान

जब आधुनिकता की दौड़ में हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, वहीं विराटनगर कस्बा निवासी मोतीलाल स्वामी अपनी निस्वार्थ सेवा से पर्यावरण संरक्षण की मिसाल कायम कर रहे हैं। वार्ड 8, स्वामी का बास निवासी मोतीलाल स्वामी न केवल जहरीले सांपों से बेखौफ होकर उनका रेस्क्यू करते हैं, बल्कि गांव-गांव में वन्यजीव संरक्षण की अलख भी जगा रहे हैं।

जयपुरMay 26, 2025 / 09:49 am

Mohan Murari

– यूट्यूब से सीखी रेस्क्यू तकनीक, अब गांव-गांव में ‘एनीमलहेल्पलाइन’ बन चुके हैं मोतीलाल

जयपुर। जब आधुनिकता की दौड़ में हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, वहीं विराटनगर कस्बा निवासी मोतीलाल स्वामी अपनी निस्वार्थ सेवा से पर्यावरण संरक्षण की मिसाल कायम कर रहे हैं। वार्ड 8, स्वामी का बास निवासी मोतीलाल स्वामी न केवल जहरीले सांपों से बेखौफ होकर उनका रेस्क्यू करते हैं, बल्कि गांव-गांव में वन्यजीव संरक्षण की अलख भी जगा रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में मोतीलाल ने कोबरा, करैत, रसेल वाइपर जैसे अत्यंत जहरीले सांपों को पकड़कर उन्हें सुरक्षित जंगलों में छोड़ा है। अब तक 1200 से अधिक सांप,मॉनिटर लिज़र्ड, पक्षियों समेत 500 से ज्यादा वन्यजीवों को नया जीवन भी दिया हैऔर हैरानी की बात यह है कि वह यह सब निःशुल्क, बिना किसी सरकारी सहायता के केवल जनसेवा की भावना से करते हैं।

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सामान्य युवा से साहसी सेवक तक का सफर

मोतीलाल की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। यूट्यूब पर रेस्क्यू वीडियो देखकर प्रेरित हुए और धीरे-धीरे खुद को प्रशिक्षित किया। बिना किसी सरकारी सहायता या संसाधन के वे आज भी दिन-रात सिर्फ एक कॉल पर 20-30 किलोमीटर दूर तक वन्यजीव बचाने पहुंच जाते हैं। इस कार्य के लिए कोई शुल्क भी नहीं लेते हैं, न अपेक्षा, बस सेवा के जुनून के तहत करते हैं। मोतीलाल केवल वन्यजीव बचाते ही नहीं बल्कि समाज को जागरूक भी करते हैं। वे बताते हैं कि सभी सांप जहरीले नहीं होते और झाड़-फूंक नहीं, त्वरित इलाज ही जान बचा सकता है। गांवों में वे लगातार लोगों को विज्ञान आधारित जानकारी देकर अंधविश्वास की दीवारें तोड़ रहे हैं।
डिजिटल युग में ‘एनीमलहेल्पलाइन’ बना सहारा

मोतीलाल ने ‘एनीमलहेल्पलाइन’ नाम से यूट्यूब चैनल शुरू किया है जिसको 5 हजार से ज्यादा लोग सब्सक्राइब कर चुके हैं। उनके वीडियो में रेस्क्यू ऑपरेशन के साथ-साथ पशु सुरक्षा और वैज्ञानिक जानकारी भी दी जाती है। उनका मोबाइल नंबर 9828537022 अब कई गांवों में एक वन्यजीव एम्बुलेंस बन चुका है।
सम्मान मिला, सहयोग नहीं

उपखंड व जिला स्तर पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया, यहां तक कि पूर्व विधायक इन्द्राज सिंह गुर्जर ने भी उनकी सराहना की। लेकिन वन विभाग या प्रशासन की ओर से अभी तक किसी तरह का प्रशिक्षण, सुरक्षा उपकरण या सुविधा उन्हें नहीं दी गई।
सरकार से अपेक्षा, समाज से समर्थन

मोतीलाल जैसे सेवाभावी लोगों को यदि प्रशासन प्रशिक्षण, बीमा, वाहन सुविधा जैसे साधन उपलब्ध कराए, तो यह कार्य और भी व्यापक हो सकता है। उनके प्रयास यह साबित करते हैं कि बदलाव भाषणों से नहीं जमीनी काम से आता है।
जब जंगल उजड़ रहे हैं और जीवों का घर छिन रहा है तब मोतीलाल जैसे लोग हमें यह सिखा रहे हैं कि अगर सेवा का संकल्प हो, तो अकेला इंसान भी हजारों जिंदगियां बचा सकता है। उनकी कहानी हर युवा को संदेश देती है की प्रकृति की, जीवों की रक्षा की जिम्मेदारी हमारी भी है।

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