बता दें, इस हादसे के रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे अधिक संसाधन उपयोग करने के बावजूद भी नतीजा शिफर ही रहा है। बताया जा रहा है कि अब तक जितने भी बोरवेल हादसे हुए हैं सबसे अधिक संसाधन कोटपूतली बोरवेल हादसे में उपयोग लिए जा चुके हैं जिसमें तीन जेसीबी मशीन, दो पाइलिंग मशीन, दो क्रेन, 10 ट्रैक्टर सहित आदि मशीनरी का उपयोग किया जा चुका है, लेकिन अभी तक भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
एनडीआरएफ और प्रशासन के हाथ खाली
जानकारी के मुताबिक एनडीआरएफ और प्रशासन के हाथ खाली हैं और किसी के पास इस बात का जवाब नहीं है कि कब तक यह ऑपरेशन कंप्लीट कर लिया जाएगा। आज पांचवे दिन भी 3 साल की मासूम चेतना को बाहर नहीं निकाला जा सका है।
एनडीआरएफ़ के एक अधिकारी ने बताया कि हमने नीचे तक खुदाई कर ली है, और अब नीचे जाने के लिए केसिंग पाइप डाली जा रही है। यह बचावकर्मियों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है क्योंकि यहां की मिट्टी नम है। बारिश की वजह से वेल्डिंग के काम में मुश्किलें आ रही हैं, लेकिन खराब मौसम की चुनौती के बावजूद हम प्रयास कर रहे हैं।
प्लान A और प्लान B- दोनों फेल
दरअसल, प्लान A फेल होने के बाद प्लान B को उपयोग में लाया गया, लेकिन अभी तक उससे भी कोई नतीजा नहीं निकला है। वहीं, आज दोपहर बाद बारिश आने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रुका हुआ है। जैसे-जैसे समय बिता जा रहा है वैसे-वैसे परिजनों की उम्मीद अब टूटती जा रही है। परिजन व ग्रामीण बीते समय के साथ हताश होने लगे है।
घटनास्थल पर 5 दिन से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन सफल नहीं होने की वजह से अब रेस्क्यू टीम और प्रशासन की प्लानिंग पर सवाल उठने लगे हैं। अगर परफेक्ट प्लानिंग के तहत काम किया गया होता तो शायद अब तक यह रेस्क्यू ऑपरेशन कामयाब हो चुका होता।