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जयपुर

मिनिमम होती गईं मिनी बस… साढ़े तीन हजार से 800 पर सिमटीं, पहले लाखों लोगों को रोज सफर कराती थी ये बसें

Transport Department: आज की स्थिति यह है कि जयपुर के बाहरी इलाकों में न तो लो-फ्लोर बसें चल रही हैं और न ही मिनी बसें पहुंच रही हैं। इससे वहां के लोग कैब सेवा जैसे निजी वाहनों पर निर्भर हैं।

जयपुरFeb 10, 2025 / 08:22 am

Akshita Deora

Patrika Campaign: जयपुर शहर के सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सुधार के लिए परिवहन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

जेसीटीएसएल की नई लो-फ्लोर बसें बजट की कमी और प्रबंधन की खामियों के कारण शुरू नहीं हो पाई हैं, वहीं शहर के परिवहन सेवा में निजी वाहनों की संख्या बढ़ाने के प्रयास भी न के बराबर रहे हैं। परिणामस्वरूप, पिछले एक दशक में जयपुर में साढ़े तीन हजार मिनी बसों की संख्या घटकर अब मात्र 800 रह गई है। आज की स्थिति यह है कि जयपुर के बाहरी इलाकों में न तो लो-फ्लोर बसें चल रही हैं और न ही मिनी बसें पहुंच रही हैं। इससे वहां के लोग कैब सेवा जैसे निजी वाहनों पर निर्भर हैं।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति को कमजोर करने में सरकार की भूमिका है। सरकार ने मिनी बसों के लिए नए रूट नहीं खोले। दस साल पहले चलने वाली 3500 बसों की जगह अब कम संख्या में बसें चल रही हैं। शहर की बढ़ती आबादी और परिवहन की जरूरत को देखते हुए नए रूट खोलने की आवश्यकता थी, लेकिन आरटीओ ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
प्रशांत मील, अध्यक्ष, सिटी मिनी बस यूनियन

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2006 से 43 रूटों पर चल रहीं मिनी बसें

2006 में तय किए गए 43 रूटों पर अब भी मिनी बसों का संचालन जारी है। इन बसों का रोजाना करीब 50 हजार यात्रियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि जेसीटीएसएल के पास पर्याप्त बसें नहीं हैं। हालांकि, शहर की बढ़ती आबादी के मद्देनजर इनकी संख्या बहुत कम है। वर्तमान में, इन रूटों पर करीब तीन हजार बसों की आवश्यकता है।

कंडम होती जा रही हैं

अब जो मिनी बसें चल रही हैं, उनमें से अधिकांश कंडम हो चुकी हैं। परिवहन विभाग ने न तो रूटों का विस्तार किया और न ही ई-रिक्शा जैसी सेवाओं को व्यवस्थित किया। नई मिनी बसें भी नहीं आईं और संचालकों ने बाहरी इलाकों में बसें चलाने पर विचार तक नहीं किया। वर्तमान में, केवल 500 बसें पूरी तरह फिट हैं।
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लो-फ्लोर बसों की संख्या में कमी

2013 में जेसीटीएसएल की 400 लो-फ्लोर बसें शहर में संचालित हो रही थीं, लेकिन अब उनकी संख्या घटकर केवल 200 रह गई है। इस कमी के कारण, यात्रियों को बस स्टॉप पर आधे घंटे तक बस का इंतजार करना पड़ता है।

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