छोटे बच्चों की कक्षाएं स्मार्ट
निजी स्कूलों में कक्षाओं को स्मार्ट किया जा रहा है। इन्हें हाइटेक बनाया जा रहा है। नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की कक्षाओं को आधुनिक बनाया जा रहा है। स्कूलों की ओर से क्लास रूम के इंटीरियर से लेकर डिजिटल कक्षाओं पर खूब खर्च किया जा रहा है। एक क्लास को तैयार करने में स्कूल 10 से 15 लाख रुपए तक खर्च कर रहे हैं। इन बदलावों का उद्देश्य बच्चों को एक ऐसा वातावरण देना है, जिसमें वे खुलकर सोच सकें, सवाल कर सकें और अपनी जिज्ञासा को प्रकट कर सकें। इसके साथ ही बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार की कक्षाओं में बच्चों के लिए आरामदायक और सुरक्षित माहौल दिया जा रहा है।
ये 5 चुनौतियां जो सामने आ रही
1-शिक्षा विभाग की ओर से निगरानी और सहायता के लिए नियमित दौरे नहीं होते 2-कई छोटे निजी स्कूलों में पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की कमी 3-पारंपरिक शिक्षण से अनुभवात्मक शिक्षण की ओर परिवर्तन में कठिनाई 4-एनईपी के तहत प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी 5-दीर्घकालिक नीति अनुकूलन और बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता