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जयपुर

Rajasthan News : गैरकानूनी जासूसी में पुलिस के पास पुख्ता सुबूत…कार्रवाई क्यों नहीं?

Rajasthan News : लोगों की गैरकानूनी जासूसी के खेल में किसी व्यक्ति की कॉल डिटेल रेकॉर्ड (सीडीआर) निकलवाने के बदले काली कमाई में कमीशन के खेल का खुलासा हुआ है।

जयपुरFeb 03, 2025 / 07:10 am

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan News Police has Solid Evidence of illegal Espionage Why No Action

File Photo

देवेन्द्र शर्मा ‘शास्त्री’
Rajasthan News : लोगों की गैरकानूनी जासूसी के खेल में किसी व्यक्ति की कॉल डिटेल रेकॉर्ड (सीडीआर) निकलवाने के बदले काली कमाई में कमीशन के खेल का खुलासा हुआ है। इसमें पुलिस विभाग ही नहीं सरकार भी, डिटेक्टिव एजेंसियों पर मेहरबान दिख रही है। काली कमाई का पैसा साइबर कैफे, कॉमन सेंटर और कारोबारियों के खाते में मंगवाया जा रहा है और इसके बदले कारोबारियों को कमीशन देकर नकद पैसा लिया जा रहा है। कैफे चलाने वाले दरभंगा के ब्रह्मपुर हाट थाना कमतौल निवासी ईश्वर कुमार के खाते में गिरोह पैसा जमा करवाते थे। उसे 1 फीसद कमीशन दिया जाता था। इसी प्रकार गिरोह के सौरभ साहू ने सुनील मिश्रा निवासी गाजियाबाद उत्तर प्रदेश सहित कई लोगों के खातों में पैसा मंगवाया है। राजस्थान पुलिस के पास सभी के खिलाफ पुख्ता सुबूत हैं लेकिन पुलिस ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। सीडीआर के इस खेल में जासूसी कंपनियों पर नकेल तक नहीं कसी गई।

एजेंसियां मंगवा रही थी सीडीआर

भारत डिटेक्टिव एजेंसी नई दिल्ली।
बिहार प्राईवेट डिटेक्टिव एजेंसी।
बॉर्डरमेन डिटेक्टिवस, गुजरात।
सीसी, डीआई डीई एवीडेंस-साउथ।
एक्सपर्ट-डे-साउथ।
जीनियस पेट, रांची झारखंड।
गिरीश बरुनी जैम्स, गुजरात।
जेवी डिटेक्टिव एजेंसी-गुजरात।
मयंक डिटेक्टिव एजेंसी, मुंबई।
मौर्या डिटेक्टिवस एजेंसी।
न्यू पुणे डिटेक्टिवस, पुणे।
वीनस डिटेक्टिव एजेंसी, दिल्ली।
राज डिटेक्टिव एजेंसी, मुंबई।
शार्प डिटेक्टिव एजेंसी, साउथ।
टीई-थ्री-ट्रेक आई डिटेक्टिव एजेंसी, साउथ।
एआरके, आई-क्यूब सोल्यूसन, हैदराबाद।

पैसों के लेन-देनमें छद्म नाम

गिरोह के लोग पैसों के लेन-देन में कारोबारियों को अपना सहीं नाम नहीं बताते हैं। दरभंगा बिहार निवासी पारस नाथ साह ने पूछताछ मे बताया कि उसकी दरभंगा में पारसनाथ फर्म है। आरोपी समरेश झा उससे संजय बनकर मिला था। उसने स्वयं को ट्रेवल्स का कारोबारी बताया था। समरेश उसके खाते में पैसा डलवाता था। उसका व्हाटसएप मैसेज दिखाकर वह नकद पैसे ले जाता था। इसके बदले उसे कमीशन दिया जाता था।
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काली कमाई से मजे की जिंदगी

गिरोह के लोग इस काली कमाई से मजे की जिंदगी जी रहे हैं। दिल्ली सहित कई जगह शानदार ऑफिस, करोड़ों की गाड़ी और आलीशान घर की बात सामने आई है। क्राइम ब्रांच की ई-मेल से सीडीआर मंगवाने वाले समरेश झा ने पूछताछ में बताया कि रिषभ नाम का व्यक्ति सीडीआर निकलवाने की एवज में पैसे बैंकों में जमा करवाता था। वहीं, महेन्द्र सिंह नाम व्यक्ति नमन जैन के लिए काम करता है। उसके कहने पर मैं सीडीआर मंगवाता हूं।
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कितनी सीडीआर…

गिरोह के लोगों ने कितने अधिकारियों, अपराधियों और कारोबारियों की सीडीआर निकलवाई। इसका राज अभी भी गिरफ्तार आरोपियों के कम्यूटर, लैपटॉप और मोबाइलों में कैद है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस को एफएसएल रिपोर्ट देने में जानबूझकर देरी की जा रही है।
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जल्द कार्रवाई

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक क्राइक दिनेश एम एन का कहना है कि निजी डिटेक्टिव एजेंसियों के खिलाफ पुलिस जल्द कार्रवाई करेगी। इसके लिए एफएसएल जांच का इंतजार है। मामले के अन्य आरोपियों की भी तलाश जारी है।
दिनेश एम एन, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक क्राइम

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