इनमें से एक मामले में स्कूल व्याख्याता को स्कूल व्याख्याता भर्ती में अन्य अभ्यर्थी की जगह डमी के रूप में परीक्षा देने के मामले में पकड़ा गया, तो एक महिला को सात साल पहले महिला पर्यवेक्षक भर्ती का पेपर 12 लाख रुपए में खरीदने के मामले में गिरफ्तार किया गया। एक आरोपी नकल गिरोह से जुड़ा है तो तीन लोग भर्तियों के लिए फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करने के मामले में जेल में है।
युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों पर दिखाया कड़ा रूख
1. व्याख्याता ने डमी के रूप में दी परीक्षा न्यायाधीश सुदेश कुमार बंसल ने स्कूल व्याख्याता अशोक कुमार विश्नोई की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में जिनको जमानत मिली, वे मध्यस्थ थे और याचिकाकर्ता ने डमी अभ्यर्थी के रूप में परीक्षा दी। दोनों मामलों में अंतर है। इस कारण याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दे सकते, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ट्रायल त्वरित होनी चाहिए। यह था मामला: अशोक कुमार विश्नोई पर अक्टूबर 2022 में स्कूल व्याख्याता भर्ती में लखाराम की जगह डमी अभ्यर्थी के रूप में परीक्षा देने का आरोप है। इस मामले में अजमेर में दर्ज एफआईआर में विश्नोई को जनवरी 2024 में गिरफ्तार किया गया।
आरोपी का तर्क: सह आरोपी अर्जुन कुमार विश्नोई व हीराराम को जमानत पर रिहा हो चुके और ट्रायल में अभी प्रगति नहीं है। 2. असंख्य युवा कड़ी मेहनत करते हैं… न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने चयनित महिला पर्यवेक्षक मंजू भामू व नकल कराने वाले तुलछाराम कालेर को जमानत से इनकार करते हुए कहा कि मामला गंभीर है। सरकारी नौकरी के लिए असंख्य युवा कड़ी मेहनत व लगन से तैयारी करते हैं, लेकिन नकल व पेपरलीक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इससे परीक्षाओं की शुचिता समाप्त हो रही है।
यह था मामला: पर्यवेक्षक (महिला अधिकारिता) भर्ती 2018 की 6 जनवरी 2019 को परीक्षा हुई। ब्लूटूथ से नकल के लिए तुलछाराम ने मंजू भामू से 12 लाख रुपए लिए, वहीं तुलछाराम पर ऐसे ही 14 अन्य मामले भी दर्ज हैं।
आरोपियों का तर्क: तुलछाराम जनवरी से और मंजू भामू फरवरी 2025 जेल में है। मंजू की ३ वर्षीय बेटी की परवरिश नहीं हो पा रही।
3. आरोप गंभीर, नहीं दे सकते राहत न्यायाधीश गणेशराम मीणा ने प्रदीप कुमार शर्मा, जगदीश सरण और मनदीप कुमार को जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह मामला समाज के विरुद्ध अपराध से जुड़ा है और इन दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने के मामले में कई कर्मचारियों को पकड़ा गया है। साथ ही अधीनस्थ अदालत से कहा कि ट्रायल जल्दी पूरी कराए जाए।
यह था मामला: आरोपियों को विभिन्न भर्तियों में फर्जी खेल प्रमाणपत्र व अन्य दस्तावेज तैयार करने के मामले में करीब एक साल पहले पकड़ा था। आरोपियों ने करीब 43 हजार फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेरोजगार युवाओं को उपलब्ध कराए।
सरकार का तर्क: लोक अभियोजक अमित पूनिया ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी गवाहों को प्रभावित करेंगे।