आदेश में स्पष्ट है कि आर्थिक और अचल संपत्ति के मामलों में विवादित राशि होल्ड करानी है। खाताधारक का पूरा खाता फ्रीज नहीं कराना होगा। पुलिस की इस व्यवस्था से पीड़ित के साथ-साथ पुलिस को भी आसानी होगी।
14 दिन के भीतर जांच की जाएगी
सिविल प्रकृति के मामलों में यदि संज्ञेय अपराध सीधे तौर पर स्थापित नहीं होता है तो ऐसे मामलों में पहले 14 दिन के भीतर प्राथमिक जांच की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित वृत्ताधिकारी (डीएसपी स्तर) यह निर्णय करेंगे कि एफआईआर दर्ज की जाए या नहीं। अंतिम निर्णय पुलिस अधीक्षक की ओर से किया जाएगा।
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अब पूरा खाता नहीं होगा फ्रीज
यदि विवादित राशि किसी खाते से जुड़ी है तो पूरा खाता फ्रीज नहीं किया जाएगा। केवल विवादित राशि को ही होल्ड किया जाएगा। खाताधारक को अन्य लेन-देन की अनुमति रहेगी।
आयकर विभाग को सूचना अनिवार्य
यदि जांच के दौरान सामने आता है कि अचल संपत्ति के लेन-देन में दो लाख रुपए या इससे अधिक की नकद राशि का भुगतान हुआ है तो इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप आयकर विभाग के नोडल अधिकारी को सूचना भेजनी होगी। जब विवाद केवल सिविल प्रकृति का हो और संज्ञेय अपराध स्पष्ट रूप से घटित न हो।
यदि मामला पहले से न्यायालय (सविल), राजस्व या अन्य प्राधिकरण में विचाराधीन हो। प्रोमिसरी नोट, संविदा, विशेष अनुतोष अधिनियम जैसे विवाद जिनमें केवल सिविल दावा हो। सिर्फ तीन से सात वर्ष की सजा योग्य अपराध, जिनमें संज्ञेय अपराध की पुष्टि न हो पाई हो। इनमें भी पुलिस अधीक्षक की अनुमति जरूरी होगी।
लेन-देन और अचल संपत्ति मामलों में आए नए दिशा-निर्देशों की सख्ती से पालना की जाएगी। इससे जहां पीड़ितों को राहत मिलेगी, वहीं पुलिस कार्यप्रणाली भी अधिक पारदर्शी होगी।
-धर्मेंद्र सिंह यादव, पुलिस अधीक्षक, भीलवाड़ा