दुनिया फिलहाल 2.5°C से 2.9°C तापमान वृद्धि की दिशा में बढ़ रही है, जो ग्रीनलैंड और पश्चिम अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों के पूरी तरह पिघलने की ‘टिपिंग पॉइंट’ से आगे होगी। इससे समुद्र का जलस्तर 12 मीटर तक बढ़ सकता है — जो “बेहद गंभीर” स्थिति होगी।
आज लगभग 23 करोड़ लोग समुद्र तल से सिर्फ 1 मीटर ऊपर रहते हैं, और 1 अरब लोग 10 मीटर के अंदर। अगर 2050 तक समुद्र का जलस्तर सिर्फ 20 सेंटीमीटर भी बढ़ता है, तो दुनिया के 136 सबसे बड़े तटीय शहरों को हर साल $1 ट्रिलियन से ज़्यादा का नुकसान हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने जोर दिया कि तापमान में थोड़ी सी भी कमी से समुद्र स्तर बढ़ने की रफ्तार कम होती है और तैयारियों के लिए ज्यादा समय मिलता है — जिससे मानवीय पीड़ा कम हो सकती है।
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जोनाथन बैम्बर ने कहा: “’सुरक्षित सीमा’ का मतलब है ऐसी स्थिति जिसमें लोग किसी तरह से हालात से निपट सकें, लेकिन अगर समुद्र का जलस्तर सालाना 1 सेंटीमीटर या इससे ज्यादा की रफ्तार से बढ़ेगा, तो यह बेहद मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में बड़े पैमाने पर पलायन होगा — जैसा आधुनिक सभ्यता में कभी नहीं देखा गया।”
डरहम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस स्टोक्स ने कहा कि वर्तमान तापमान वृद्धि (1.2°C) पर भी समुद्र स्तर तेजी से बढ़ रहा है। अगर यह गति जारी रही, तो सदी के अंत तक यह संभाल पाना नामुमकिन हो जाएगा — और यह आज के युवाओं के जीवनकाल में ही होगा।
लगभग 3 मिलियन साल पहले जब वातावरण में CO₂ का स्तर आज जितना था, तो समुद्र का जलस्तर 10-20 मीटर ऊँचा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर CO₂ को हटाकर हम तापमान नीचे भी ले आएं, तब भी बर्फ की चादरों को वापस बनने में सैकड़ों-हजारों साल लगेंगे। यानी जो ज़मीन समुद्र में डूब गई, वो बहुत लंबे समय तक डूबी रहेगी।
1970 में बेलीज ने तूफान के बाद अपनी राजधानी को तट से हटाकर अंदर शिफ्ट कर दिया था, लेकिन उसका सबसे बड़ा शहर अब भी तट पर है, जो सिर्फ 1 मीटर समुद्र स्तर बढ़ने से डूब जाएगा।