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Rajasrthan Rte: आरटीई प्रवेश में गड़बड़झाला… 10 हजार से ज्यादा बच्चों का एडमिशन अधरझूल में, जानें पूरा सच

निजी स्कूलों ने आरटीई के तहत पहली कक्षा में प्रवेश देने से साफ इनकार कर दिया है। अभिभावकों को न तो स्कूलों में कोई जवाब मिल रहा है, न ही शिक्षा विभाग से कोई समाधान।

जयपुरJul 09, 2025 / 01:19 pm

anand yadav

निजी स्कूलों में RTE के तहत एडमिशन देने से इनकार, PHOTO AI

निजी स्कूलों में RTE के तहत एडमिशन देने से इनकार, PHOTO AI

जयपुर. राज्य सरकार जहां शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत 3.08 लाख बच्चों को निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश का दावा कर रही है, वहीं हकीकत में हजारों अभिभावक अपने बच्चों के साथ स्कूलों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। राजधानी जयपुर में ही करीब 10 हज़ार से ज्यादा बच्चों को निजी स्कूलों ने अब तक प्रवेश नहीं दिया है, जबकि अभिभावकों के पास शिक्षा विभाग की ओर से ‘प्रवेश स्वीकृत होने का मैसेज’ तक आ चुका है।

स्कूलों का सीधा इनकार, विभाग मौन

शहर के झालाना, सांगानेर, सी-स्कीम, मालवीय नगर जैसे इलाकों के निजी स्कूलों ने आरटीई के तहत पहली कक्षा में प्रवेश देने से साफ इनकार कर दिया है। अभिभावकों को न तो स्कूलों में कोई जवाब मिल रहा है, न ही शिक्षा विभाग से कोई समाधान। दरअसल, शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों के बीच फीस भुगतान को लेकर विवाद कोर्ट तक पहुंच चुका है। विभाग ने भी इस मुद्दे पर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है और प्रवेश न देने वाले स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
आरटीई के तहत स्कूलों में बच्चों के एडमिशन, पत्रिका फोटो

हकीकत बयां करते कुछ उदाहरण

जलेब चौक निवासी निजामुद्दीन के बेटे रिजानुद्दीन खान को शिक्षा विभाग की लॉटरी में तीसरा स्थान मिला। विभाग ने प्रवेश स्वीकृत होने का मैसेज भी भेजा, लेकिन स्कूल ने अब तक दाखिला नहीं दिया।
सांगानेर निवासी संदीप शर्मा की बेटी आव्या शर्मा को 173वां नंबर मिला। मैसेज मिला कि प्रवेश हो गया, लेकिन स्कूल ने बच्ची को नहीं लिया।
परकोटा निवासी प्रिंस शर्मा की बेटी चारिल शर्मा को 32वां नंबर मिला, लेकिन स्कूल से अब तक सिर्फ इनकार मिला है।
मालवीय नगर निवासी अजय हल्देनिया के बेटे प्रियांश को ओटीएस चौराहे के पास स्थित एक स्कूल में चयनित दिखाया गया, लेकिन स्कूल ने पहली कक्षा में दाखिले से मना कर दिया।
आरटीई के तहत स्कूलों में बच्चों के एडमिशन, पत्रिका फोटो

सरकारी दावे कुछ, हकीकत कुछ और

शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए राज्य में 34,799 गैर-सरकारी स्कूलों में आरटीई के तहत 3 लाख से अधिक छात्रों के चयन का दावा किया गया है। इनमें 1.61 लाख बालक, 1.46 लाख बालिकाएं और 7 थर्ड जेंडर बच्चे शामिल हैं। पहली कक्षा के लिए करीब डेढ़ लाख बच्चों के चयन की बात की गई है लेकिन हकीकत यह है कि चयनित बच्चों में से बड़ी संख्या में स्कूलों ने अब तक प्रवेश ही नहीं दिया है, और बच्चे बिना पढ़ाई के घर बैठे हैं।

विवाद की जड़ में क्या है?

निजी स्कूलों का तर्क है कि हाईकोर्ट ने हाल ही आरटीई को लेकर यह आदेश दिया है कि प्रवेश सिर्फ ’एंट्री लेवल’ कक्षा में ही हो सकता है। चूंकि कई स्कूल नर्सरी से शुरू होते हैं, इसलिए वे पहली कक्षा को ‘एंट्री लेवल’ नहीं मानते और इस आधार पर आरटीई के तहत दाखिले से इनकार कर रहे हैं। इधर, शिक्षा विभाग ने भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं, और न ही ऐसे स्कूलों पर कोई ठोस कार्रवाई की जा रही है।
आरटीई के तहत स्कूलों में बच्चों के एडमिशन, पत्रिका फोटो

सरकार ने बनाया मजाक

राजस्थान में आरटीई प्रवेश प्रणाली मजाक बन गई है। सरकार झूठे आंकड़ों का ढोल पीट रही है, जबकि जमीन पर हजारों अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर दर-दर भटक रहे हैं। विश्वास की बुनियाद हिल चुकी है। -अभिषेक जैन, प्रवक्ता, संयुक्त अभिभावक संघ

मंत्री बोले, निजी स्कूलों को करेंगे पाबंद

आरटीई के तहत पहली कक्षा में प्रवेश रोके नहीं जा सकते। निजी स्कूलों को पाबंद किया जाएगा कि प्रवेश नहीं रोकें। जो भी शिकायतें शिक्षा अधिकारियों के पास आ रही हैं, उनका निस्तारण करवाया जाएगा। -मदन दिलावर, शिक्षा मंत्री

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