बता दें, हाईकोर्ट में आज समरावता गांव में हुई हिंसा के मामले में नरेश मीणा की ओर से जमानत याचिका लगाई गई थी।
नरेश मीणा के वकील ने किया ये दावा
दरअसल, नरेश मीणा की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट डॉ. महेश शर्मा ने कोर्ट में तर्क दिया कि जब समरावता में हिंसा हुई, तब नरेश मीणा पहले से ही पुलिस हिरासत में थे। उनका कहना था कि राजनीति से प्रेरित होकर नरेश मीणा के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि नरेश मीणा पर कुल 24 केस दर्ज हैं, लेकिन यह सब राजनीति के चलते किए गए हैं। हालांकि, कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि मुख्य आरोपी होने के नाते नरेश मीणा पर हिंसा भड़काने का आरोप कैसे नहीं लगाया जा सकता?
क्या है थप्पड़कांड से जुड़ा पूरा मामला?
बताते चलें कि इस मामले में विवाद की शुरुआत तब हुई जब समरावता गांव में उपचुनाव के दौरान वोटिंग का बहिष्कार किया गया। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने अधिकारियों पर जबरन मतदान कराने का आरोप लगाया। उन्होंने पोलिंग बूथ पर पहुंचकर SDM अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया और धरने पर बैठ गए।
इसके बाद, पुलिस ने नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया, लेकिन उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए उन्हें छुड़ा लिया। घटना के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें लाठीचार्ज और पथराव की घटनाएं सामने आईं थी। वहीं, हिंसा के बाद पुलिस ने मामले में 61 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से 18 को टोंक जिला न्यायालय से और 40 को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
थप्पड़कांड में अब आगे क्या?
गौरतलब है कि अगर हाईकोर्ट से नरेश मीणा को इस मामले में जमानत मिलती है, तो उन्हें जेल से बाहर आने के लिए SDM थप्पड़कांड मामले में भी जमानत लेनी होगी। फिलहाल, इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।