राजस्थान में 70 हजार मंत्रालयिक कर्मचारियों का अलग से निदेशालय बनेगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा में बुधवार को बजट पर जबाव देते हुए राज्य में मंत्रालयिक कर्मचारी निदेशालय की स्थापना की घोषणा की। गौरतलब है कि 35 साल (1990) से इसकी मांग की जा रही थी। इसमें सभी विभागों के मंत्रालयिक कर्मचारी शामिल होंगे।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि लंबे समय से निदेशालय की स्थापना की मांग थी। मंत्रालयिक कर्मचारी अब इस प्लेटफॉर्म से बात सरकार तक पहुंचा सकेंगे। राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र सिंह नरूका ने कहा कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की बात अधिकृत रूप से सरकार को भेजी जा सकेगी।
निदेशालय जरूरी क्यों…?
आमतौर पर मंत्रालयिक कर्मचारियों के संगठन अपने वेतन विसंगति, पदोन्नति, कैडर स्ट्रैंथ व सीनियरटी सहित विभिन्न मामलों पर सरकार के पास डिमांड लेकर जाते हैं। सरकार गंभीरता से नहीं लेती है, क्योंकि सरकार को फैसला लेने में कठिनाई होती है। जबकि अन्य विभागों के निदेशालय बने हुए हैं। वहां कर्मचारी संघों की मांगों को समाहित कर निदेशालय रिपोर्ट पेश करता है। यह रिपोर्ट अधिकारी बनाते हैं, इसलिए अधिकृत होती है और सरकार के लिए फैसला लेना आसान होता है। इसीलिए कर्मचारी संगठन वर्षों से निदेशालय की मांग कर रहे थे।
बता दें कि वसुंधरा राजे से लेकर अशोक गहलोत की सरकार में भी इस मांग को लेकर कई बड़े धरने प्रदर्शन कर्मचारियों की तरफ से किए गए। करीब एक लाख से ज्यादा मंत्रालयिक कर्मचारी इस घोषणा से सीधे प्रभावित होंगे। इसके अलावा भी सीएम ने कई बड़े एलान किए हैं।