बता दें कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर ने आज से शुरू होने वाली 10वीं व 12वीं बोर्ड की परीक्षा को पारदर्शी बनाने के लिए इस बार पहली बार ड्रेस कोड लागू कर दिया है। यानी नियमित विद्यार्थियों को अपने स्कूल की यूनिफॉर्म पहनकर ही परीक्षा देने के लिए जाना होगा। ड्रेस नहीं होने पर परीक्षा से वंचित रहना पड़ सकता है। इधर, राजधानी जयपुर सहित कई स्थानों पर विद्यार्थियों को इससे उलट नियमों का पालन करने के लिए मजबूर किया गया। जयपुर के स्वामी तोताराम राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों के टाई-बेल्ट उतरवाए गए, जिससे छात्रों और उनके अभिभावकों में नाराजगी फैल गई। जबकि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की गाइडलाइन में इस तरह के किसी निर्देश का उल्लेख नहीं है।
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रशासन एक ओर विद्यार्थियों को पूरी यूनिफॉर्म में परीक्षा में आने के लिए कहता है और दूसरी ओर परीक्षा केंद्र पर टाई-बेल्ट और जूते उतरवा लिए जाते हैं, जो अनुचित है। उनका कहना है कि अधिकांश स्कूलों में विद्यार्थी टाई-बेल्ट पहन कर गए है, जबकि इस स्कूल में खुलवाए गए हैं। किसी विद्यार्थी के टाई-बेल्ट खो जाते हैं तो उसे इससे आर्थिक नुकसान भी होगा। वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों को परीक्षा से पहले एक मानसिक तनाव भी दिया जा रहा है। इसके अलावा सर्दी के मौसम में जूते उतरवाना विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में पहली बार सीबीएसई की तर्ज पर नियमित विद्यार्थियों के लिए स्कूल यूनिफार्म अनिवार्य की है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान बोर्ड की परीक्षा के केन्द्राधीक्षक नियमों का मखौल उड़ा रहे हैं। कहीं बच्चों के टाई-बेल्ट उतरवाए जा रहे हैं तो कहीं जूते। बोर्ड ने ड्रेस कोड लागू करने का फैसला परीक्षा में पारदर्शिता बनाए रखने और अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए लिया है। इसके अलावा ड्रेस कोड से यह भी सुनिश्चित होगा कि परीक्षा केंद्रों पर स्कूली छात्र ही उपस्थित हों और कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश न कर सकें। हालांकि, कोई छात्र निर्धारित ड्रेस पहनकर नहीं आता है, तो उसे ठोस कारण बताने पर परीक्षा से वंचित नहीं करने की छूट भी दी गई है। इसके अलावा परीक्षार्थियों को अपने एडमिट कार्ड के साथ आधार कार्ड या स्कूल आईडी जैसे फोटो पहचान पत्र लाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
बोर्ड परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों के टाई-बेल्ट नहीं खुलवाने चाहिए। यदि कहीं ऐसा हो रहा है तो उसके दिखवाते हैं।
-सुनील कुमार ङ्क्षसघल, जिला शिक्षा अधिकारी जयपुर