फरवरी 2019 को न्यायिक मजिस्ट्रेट नियुक्त
न्यायाधीश बी वी नागरत्ना व न्यायाधीश सतीश चन्द्र शर्मा की खंडपीठ ने पिंकी मीणा की अपील स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया। अपीलकर्ता पिंकी मीणा को 30 दिसम्बर 2014 को सरकारी सेवा में शिक्षक ग्रेड-द्वितीय के रूप में नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने नवम्बर 2017 में राजस्थान न्यायिक सेवा के लिए आवेदन किया और 11 फरवरी 2019 को न्यायिक मजिस्ट्रेट नियुक्त कर दिया गया।
नियमों के विपरीत की पढ़ाई
फरवरी 2020 में रजिस्ट्रार (सतर्कता) ने अपीलार्थी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें आरोप लगाया कि अपीलार्थी ने राजस्थान न्यायिक सेवा के लिए आवेदन में अपनी पिछली सरकारी नौकरी का खुलासा नहीं किया। साथ ही, यूनिवर्सिटी के नियमों के विपरीत बी.एड. और एलएल.बी. की पढ़ाई एक साथ पूरी की। उसने एलएलएम की पढ़ाई भी नौकरी करते हुए पूरी की।
हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट पहुंची
अपीलकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बीमारी के कारण न्यायपालिका में शामिल होने से पहले पुरानी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और नियमों की जानकारी मिलने के बाद उसने बी.एड. की पढ़ाई बंद कर दी। इसके अलावा पुरानी नौकरी का खुलासा नहीं करने से न्यायिक सेवा पर कोई असर भी नहीं हुआ। इसके बावजूद राजस्थान हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने वर्ष 2020 में सेवा समाप्त कर दी। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर अपीलार्थी को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।