कृषि आयुक्त सुरेश कुमार ओला ने बताया कि अभियान के तहत कृषि अधिकारियों की टीमें खाद, बीज एवं कीटनाशकों के निर्माताओं और विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करेंगी। यदि कहीं भी अनियमितता पाई जाती है तो संबंधित के विरुद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत बिक्री पर रोक, जब्ती, लाइसेंस निलंबन या निरस्तीकरण जैसी सख्त कार्यवाही की जाएगी।
ओला ने बताया कि जिलों में कार्यरत सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि नकली डीएपी या अन्य उर्वरकों के निर्माण या पैकिंग की सूचना मिलते ही तुरंत कठोर कदम उठाएं। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्रों, फार्म हाउसों और ढाणियों जैसे संभावित स्थानों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश भी दिए हैं।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों को समय पर शुद्ध और प्रमाणित कृषि आदान उपलब्ध कराना है, ताकि वे खरीफ सीजन में बिना किसी बाधा के खेती कर सकें और उपज में वृद्धि हो सके।