बताया जा रहा है इस शिविर में विधायकों को संगठनात्मक कौशल, सुशासन, जनसेवा और नीति-निर्धारण जैसे विषयों पर गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही पार्टी नेताओं द्वारा विधायकों से फीडबैक भी लिया जाएगा, जिससे आगे की रणनीतियों को अंतिम रूप दिया जा सके।
पार्टी नीति और सुशासन पर विशेष फोकस
सूत्रों के मुताबिक यह प्रशिक्षण शिविर पार्टी के ‘संपर्क से समर्थन’ और ‘संगठन से सेवा’ जैसे अभियानों को मजबूती देने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। इसमें विधायकों को केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ उनके संवैधानिक दायित्वों और विधानसभा में व्यवहारिक भूमिका पर भी मार्गदर्शन दिया जाएगा। बता दें, इस शिविर में पार्टी के वरिष्ठ नेता, नीति विशेषज्ञ और अनुभवी प्रशासक विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे। इस दौरान पंचायत चुनावों की तैयारी, बजट सत्र की रणनीति, और ग्रामीण स्तर पर जनसंपर्क को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कार्ययोजना पर भी चर्चा होगी।
पहली बार प्रदेश से बाहर होगा शिविर
बताते चलें कि इस तरह का आयोजन पहली बार प्रदेश से बाहर किया जा रहा है, जहां राजस्थान के सभी विधायक एक साथ गुजरात में प्रशिक्षण लेंगे। इस कदम को पार्टी की एकजुटता, अनुशासन और भविष्य की कार्ययोजना से जोड़कर देखा जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि इस शिविर के पश्चात राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल भी हो सकता है। क्योंकि सीएम भजनलाल के लगातार दिल्ली दौरों के बाद ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं।
विधायकों से फीडबैक भी लिया जाएगा
वहीं, प्रशिक्षण सत्रों के साथ-साथ विधायकों से फीडबैक भी लिया जाएगा, जिसकी मदद से भजनलाल सरकार की एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की जा सकती है। यह रिपोर्ट आने वाले कार्यकाल की नीतियों, मंत्रीमंडल विस्तार और संगठन के पुनर्गठन में अहम भूमिका निभा सकती है।
नए विधायकों को दिशा देने की कोशिश
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि यह प्रशिक्षण शिविर इसलिए भी जरूरी हो गया है क्योंकि राजस्थान विधानसभा में बीजेपी के अधिकांश विधायक पहली बार चुनकर आए हैं। उन्हें संसद संचालन, नीति निर्माण, जनसंपर्क और जनप्रतिनिधित्व की ज़मीनी हकीकतों से अवगत कराना आवश्यक है।
पंचायत चुनावों का भी रहेगा एजेंडा
सूत्रों के अनुसार राजस्थान में आगामी पंचायत चुनावों की तैयारी भी इस शिविर के केंद्र में रहेगी। पिछले चुनावों में विपक्ष में होने के कारण बीजेपी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब सत्ता में रहते हुए पार्टी को गांव-गांव में पकड़ मजबूत करने की जिम्मेदारी भी है। यह शिविर उस रणनीति को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।