scriptजयपुर में आज 50 हजार लोगों का जीमण, दाल, बाटी और चूरमा है पारंपरिक भोजन, 110 साल बाद जीवंत हुई ज्यौणार परंपरा | Today, the traditional food of 50 thousand people in Jaipur is Jiman, Dal, Baati and Churma, Jyonar tradition came alive after 110 years | Patrika News
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जयपुर में आज 50 हजार लोगों का जीमण, दाल, बाटी और चूरमा है पारंपरिक भोजन, 110 साल बाद जीवंत हुई ज्यौणार परंपरा

गुलाबी नगरी में आज एक ऐतिहासिक और पारंपरिक आयोजन हो रहा है। राजा-महाराजाओं के समय की परंपरा ‘ज्यौणार’ को 110 साल बाद एक बार फिर से जीवंत किया जा रहा है।

जयपुरJul 13, 2025 / 12:14 pm

Manish Chaturvedi

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गुलाबी नगरी में आज एक ऐतिहासिक और पारंपरिक आयोजन हो रहा है। राजा-महाराजाओं के समय की परंपरा ‘ज्यौणार’ को 110 साल बाद एक बार फिर से जीवंत किया जा रहा है। 50 हजार जयपुरवासी आज पारंपरिक भोजन दाल-बाटी-चूरमा का लुत्फ उठाएंगे। सांगानेरी गेट स्थित अग्रवाल कॉलेज परिसर में यह आयोजन हो रहा है।
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जीमण को भव्य बनाने के लिए 17300 किलो सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। इसमें 12500 किलो बेसन और आटा, 160 पीपे गाय का घी, 1500 किलो दाल, 1200 किलो मावा और 1200 किलो शक्कर का उपयोग हो रहा है। पूरी व्यवस्था में सैकड़ों कार्यकर्ता और सेवादार जुटे हुए हैं।
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हेरिटेज नगर निगम महापौर कुसुम यादव ने बताया कि यह आयोजन जयपुर की सदियों पुरानी परंपरा को जीवंत करने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में शहर के सभी व्यापार मंडल, समाज प्रमुख, साधु-संत, मंदिर-मठों के प्रतिनिधि और आमजन शामिल हैं। आयोजन के लिए पूरे शहर में कूपन वितरण किया गया है ताकि व्यवस्था सुव्यवस्थित रहे।
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महापौर ने यह भी बताया कि पूर्व में जब राजा-महाराजा कोई युद्ध जीतकर लौटते थे या कोई विशेष अवसर होता था, तब पूरे नगरवासियों के लिए सामूहिक भोजन (ज्यौणार) का आयोजन होता था। अब यही परंपरा राजस्थान सरकार की डेढ़ साल की उपलब्धियों को जनता के साथ साझा करने के उद्देश्य से दोबारा निभाई जा रही है। भोजन की तैयारियों को लेकर भट्टी पूजन के साथ पांडाल भी सज चुका है। हर कोने में स्वच्छता, पानी, बैठने और सेवा के इंतजाम किए गए हैं। आज हजारों लोग एक साथ पंगत में बैठकर जीमण कर रहे है।

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