EC ने CEO को लिखा पत्र
चुनाव आयोग ने इसको लेकर राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखा है। पत्र में कहा या है कि वे 1 जनवरी 2026 को आधार बनाकर वोटर लिस्ट को दोबारा खंगालने की तैयारी शुरू करे। यानी उस दिन तक 18 साल के हो चुके लोगों का वोटर लिस्ट में नाम होना चाहिए। वोटर लिस्ट को जारी करना किया शुरू
कुछ राज्यों के
मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने अपने राज्यों में पिछली एसआईआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियों को जारी करना शुरू कर दिया है। ET की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध है, जब राष्ट्रीय राजधानी में आखिरी बार गहन पुनरीक्षण हुआ था। उत्तराखंड में पिछली एसआईआर 2006 में हुई थी और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
28 जुलाई के बाद लेगी फैसला
एक अधिकारी के मुताबिक इलेक्शन अथॉरिटी 28 जुलाई के बाद देश में एसआईआर पर फैसला करेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के मामले में दोबारा सुनवाई होगी।
पूरे देश में होगी वोटर लिस्ट की गहन समीक्षा
चुनाव आयोग ने ऐलान किया कि वह जन्म स्थान की जांच करके विदेशी अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए पूरे भारत में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा। बता दें कि बिहार में इस साल चुनाव होने जा रहे हैं जबकि इन पांच अन्य राज्यों – असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में निर्धारित हैं।
बिहार में जारी है एसआईआर
बता दें कि बिहार में 24 जून को शुरू हुए विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य मतदाता सूची से अपात्र और फर्जी नामों को हटाना है। इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रहे हैं, जो 26 जुलाई 2025 तक चलेगा। ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होगी और दावे-आपत्तियों की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक रहेगी। अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को जारी होगी। इस प्रक्रिया में मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए 11 दस्तावेजों में से एक जमा करना होगा।
विपक्ष ने चुनाव आयोग पर साधा निशाना
विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस, आरजेडी, और टीएमसी, ने इस प्रक्रिया को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीब और कमजोर वर्गों के मतदान अधिकार को प्रभावित कर सकती है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग का कहना है कि यह कवायद संवैधानिक जिम्मेदारी है, जिसका मकसद गैर-भारतीयों को वोटर लिस्ट से हटाना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन इसकी टाइमिंग और तरीके पर सवाल उठाए।