दरअसल, मीडिया से बातचीत में दीया कुमारी ने कहा कि यह विधेयक बहुत जरूरी था। सत्र के आखिरी सप्ताह में इसके पारित होने की संभावना है। जनता ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर भरोसा जताया है। पीएम मोदी की गारंटी कामयाब होगी, क्योंकि वो जो कहते हैं, वह करके दिखाते हैं।
क्या है धर्मांतरण विरोधी विधेयक?
राजस्थान की भजनलाल सरकार की ओर से सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया। इसमें धर्मांतरण रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। इस विधेयक में ‘लव जिहाद’ को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति बलपूर्वक, गलत बयानी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या कपटपूर्ण तरीके से धर्मांतरण कराता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। विशेष रूप से लव जिहाद के मामलों में इसे गंभीर अपराध माना जाएगा।
उद्देश्य– जबरन धर्मांतरण पर रोक
राज्य सरकार का कहना है कि यह विधेयक जबरन धर्मांतरण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए लाया गया है। सरकार का मानना है कि इससे लव जिहाद और धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने वाले गिरोहों पर लगाम लगेगी। 10 साल तक की सजा का प्रावधान
विधेयक में धर्मांतरण को गैर-जमानती अपराध बनाया गया है। इसके तहत आरोपी को कम से कम 1 साल की सजा, जो 5 साल तक बढ़ाई जा सकती है, और 15,000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा। यदि पीड़ित नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) से संबंधित है, तो आरोपी को कम से कम 2 साल की सजा (जो 10 साल तक बढ़ाई जा सकती है) और 25,000 रुपये का जुर्माना होगा। संगठित रूप से धर्मांतरण कराने वालों को 10 साल तक की सजा और 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा में बहुमत वाली भाजपा सरकार इस विधेयक को मार्च के अंतिम सप्ताह में पारित करा सकती है। यदि यह विधेयक कानून बनता है, तो राजस्थान उन राज्यों में शामिल हो जाएगा जहां धर्मांतरण पर सख्त कानून लागू है।