बन रहे आलीशान होटल-रिसोर्ट
जैसलमेर शहर व ग्रामीण क्षेत्रों तक में होटलों का वर्ष पर्यंत निर्माण कार्य चलता है। उनमें जैसलमेरी पत्थर का बढ़-चढकऱ इस्तेमाल किया जा रहा है। 10-20 से लेकर 50 से 120 कमरों तक के बड़े होटलों में जैसलमेरी पत्थर का दिल खोल कर इस्तेमाल किया जा रहा है। कुछ होटल तो इतने खूबसूरत हैं कि अपनी कलात्मकता व विशालता में पटवा हवेलियों व सोनार दुर्ग से टक्कर लेते हैं। उनकी देखादेखी सम में भी रिसोर्ट निर्माण में जैसलमेर के पीले पत्थरों से अग्रिम हिस्सा बनाने का चाव बढ़ा है। रियासतकाल में बनने वाली प्रोलों जैसा विशाल द्वार भी पत्थर से बनाया जा रहा है। जैसलमेर नगरपरिषद सहित अन्य सरकारी एजेंसियों की तरफ से भी जैसलमेरी पत्थर का इस्तेमाल सरकारी सम्पत्तियों के निर्माण में अच्छा खासा किया जाता है।
सैकड़ों इकाइयां, हजारों को काम
निर्माण कार्य में काम आने वाले जैसलमेरी पत्थर की दो किस्में हैं, फ्लोरिंग और मार्बल। इनका स्रोत मुख्य रूप से मूलसागर व जेठवाई गांव हैं। उनके साथ सिपला में भी कुछ माइन्स हैं। ग्रेनाइट के लिए लखा, सांकड़ा व सनावड़ा क्षेत्र निर्धारित हैं। जिले में कुल करीब 460 खनन पट्टे खनिज विभाग की ओर से दिए गए हैं। साथ ही 150 से 200 पत्थर कटिंग इकाइयां भी कार्यरत हैं। रीको की तरफ से जैसलमेर, किसनघाट व शिल्पग्राम में 3 औद्योगिक क्षेत्रों में मुख्यत: पत्थर से जुड़ी इंडस्ट्री ही कार्यरत है। एक अनुमान के अनुसार इन इकाइयों से प्रत्यक्ष तौर पर 6000 लोगों को रोजगार मिलता है और परोक्ष रूप से यह आंकड़ा 25 हजार तक पहुंचता है। हाथ से घड़ाई का काम करने वाले हुनरमंद कारीगरों की तादाद भी हजारों में हैं। लगभग 300 करोड़ के सालाना कारोबार वाले पीले पत्थर की मांग जैसलमेर से बाहर देश के अन्य शहरों व विदेशों तक भी है। हालांकि कई कारणों से यह मांग सीमित हो रही है। कोरोना काल से पहले परवान चढ़ रहे पत्थर उद्योग को इस महामारी ने निर्णायक रूप से क्षति पहुंचाई थी। करीब एक-डेढ़ वर्ष संघर्ष करने के बाद निर्माण कार्यों की बहुलता से एक बार फिर पीला पत्थर चमक बिखेरने लगा है। फैक्ट फाइल –
- 03 औद्योगिक क्षेत्र जैसलमेर में
- 300 करोड़ का पत्थर से जुड़ा सालाना कारोबार
- 150 से अधिक पत्थर कटिंग यूनिट्स
- 30 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार
हजारों की रोजी-रोटी
जैसलमेरी पत्थर से हजारों परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है। यह सिलसिला विगत कई दशकों से चल रहा है। स्थानीय बाशिंदों के साथ पर्यटन व्यवसायियों की तरफ से इस व्यवसाय को खूब प्रोत्साहन मिला है। इसे और आगे ले जाने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे। - गिरिश व्यास, सचिव, जैसलमेर रीको इंडस्ट्रीज एसोसिएशन