सेवा भारती से जुड़कर उन्होंने अपनी इस यात्रा की शुरुआत एक दुपहिया वाहन से की थी। अब उनके पास भामाशाह की ओर से प्रदत्त एम्बुलेंस है, जिससे वे शहर की सीमाएं पार कर ग्रामीण अंचलों तक पहुंचते हैं। मरीजों की जांच करते हैं, उन्हें मुफ्त दवाइयां देते हैं और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी करते हैं।डॉ. दामोदर खत्री बचपन से ही एक पांव से दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने कभी इसे अपनी राह की बाधा नहीं बनने दिया। विपरीत परिस्थितियों में भी जिजीविषा को मजबूत रखा और अपनी कमजोरी को सेवा की शक्ति में बदल दिया।
चिकित्सा सेवा के साथ-साथ वे एक संवेदनशील कवि भी हैं। पिछले चार दशकों में वे करीब 500 कविताएं लिख चुके हैं, जिन्हें वे अब पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की तैयारी में हैं। वे मानते हैं कि कविता उनके भीतर के अनुभवों और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है।डॉ. खत्री को संगीत सुनने का भी गहरा शौक है। पुरानी हिंदी फिल्मों के गीतों से लेकर भक्ति संगीत तक उनकी पसंद में शामिल है। संगीत उन्हें काम की थकान से उबारता है और नित नई ऊर्जा देता है।
डॉ. दामोदर खत्री का जीवन न केवल चिकित्सा सेवा का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सीमाएं चाहे जैसी भी हों, जब मन में सेवा का भाव और आत्मा में सृजन की ज्योति हो, तो जीवन हर हाल में सार्थक बनता है।