‘मोदी जी, पाकिस्तान को जवाब दीजिए…,’ जैसलमेर बॉर्डर पर बकरी चराने वाले ने कह दी बड़ी बात
Jaisalmer Border: चरवाहों को पहले सीमा क्षेत्र के अंदर 10 किलोमीटर तक जाने की अनुमति थी, लेकिन अब वे सिर्फ 5-7 किलोमीटर तक की अनुमति मांग रहे हैं। बकरी चराने वाले लाल सिंह ने कहा कि “अगर स्थिति और खराब हुई तो हम तुरंत वापस आ जाएंगे।”
जैसलमेर । पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस बीच राजस्थान में बार्डर से लगते सादेवाला गांव के एक चरवाहे ने भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति अपना अटूट समर्थन जताया है। जबकि सुरक्षा प्रतिबंधों की वजह से उन लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटे गांव सादेवाला के रहने वाले लाल सिंह 1200 से अधिक भेड़-बकरियों की देखभाल करते हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि 1 मई को सीमा के नजदीक आवाजाही बंद होने के बाद उनकी आजीविका पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा, “हमें बताया गया कि हम जानवरों को आगे नहीं ले जा सकते क्योंकि स्थिति सुरक्षित नहीं है। लेकिन यहां न तो घास है, न ही पानी। मेरी 10 से ज़्यादा बकरियां पहले ही मर चुकी हैं।”
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सीमा पर बैन
उन्होंने यह भी कहा कि चरवाहों को पहले सीमा क्षेत्र के अंदर 10 किलोमीटर तक जाने की अनुमति थी, लेकिन अब वे सिर्फ 5-7 किलोमीटर तक की अनुमति मांग रहे हैं। “अगर स्थिति और खराब हुई तो हम तुरंत वापस आ जाएंगे।” लाल सिंह ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले पर भी दुख जताया जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। लाल सिंह ने कहा कि वे हमारे लोग थे। अगर युद्ध होता है तो हम बीएसएफ का समर्थन करेंगे। हम भोजन और पानी पहुंचाने में मदद करेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो भी आवश्यक हो, किया जाएगा।
मौसमी घास पर चरवाहे निर्भर
पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान सीमा के करीब स्थित सादेवाला में अक्सर चरवाहे समुदाय के लोग आते-जाते रहते हैं, जो मौसमी घास के मैदानों पर निर्भर रहते हैं। तनाव के समय सुरक्षा प्रतिबंधों के कारण अक्सर उनके पास बहुत कम विकल्प बचते हैं।
बकरी चराने वाला फौज को पहुंचाएगा राशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे संदेश में चरवाहे ने कहा, “मोदी जी, उन्हें कड़ा जवाब दीजिए। हम आपके साथ हैं। मैं बीएसएफ और वायुसेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहूंगा।” बता दें कि पहले भी कई युद्धों में भेड़-बकरी चराने वाले भारतीय फौज की मदद करते रहे हैं। चीन के साथ हुए युद्ध में भेड़-बकरी चराने वाले लोग राशन पहुंचाने का काम कर रहे थे।
पहलगाम में हुए घातक हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को बनाए रखने सहित पाकिस्तान के खिलाफ कई कूटनीतिक कदम उठाए हैं।