ओबीसी आरक्षण को लेकर लंबे समय से राज्य में निकाय चुनाव स्थगित किए जा रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि आरक्षण से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन रुकी हुई चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाना जरूरी है। बता दें कि महाराष्ट्र में 29 महानगरपालिकाओं, 257 नगर पालिकाओं, 26 जिला परिषदों और 289 पंचायत समितियों के चुनाव लंबित हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महायुति गठबंधन जिसमें बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे), एनसीपी (अजित पवार) शामिल है, वह आगामी निकाय चुनाव मिलकर लड़ेगी।
सीएम फडणवीस ने कहा, “हमें बेहद खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने चार महीनों में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव कराने की अनुमति दी है। हम सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का दिल से स्वागत करते हैं। हम चुनाव आयोग से अनुरोध करेंगे कि वह चुनाव की तैयारियां शुरू करें।”
गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना चार सप्ताह के भीतर जारी करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण का विवादास्पद मुद्दा 2022 की बांठिया आयोग की रिपोर्ट से पहले जैसा ही रहेगा।
देश की शीर्ष कोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार किया जिसमें अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) पर वास्तविक आंकड़े तय करने के लिए जनगणना करने और महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव में इस श्रेणी के लिए 27 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की सिफारिश की थी।
पीठ ने स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न कराने के लिए समय-सीमा तय करते हुए महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग से इसे चार महीने में संपन्न करने को कहा। हालांकि पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को उचित मामलों में अधिक समय मांगने की स्वतंत्रता दी है। 22 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने एसईसी और महाराष्ट्र सरकार को राज्य में स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था।