स्वांगिया माता
जैसलमेर. शहर से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित गजरूप सागर क्षेत्र में स्वांगिया माता का मंदिर है। पहाड़ी क्षेत्र पर स्थित मंदिर में देवी मां के चमत्कारों पर लोगोंं का इतना विश्वास है कि वे परेशानियां या विपत्ति आने पर यहां धोक देने पहुंचते हैं और मन मांगी मुराद पूरी होने पर दर्शन करना नहीं भूलते।तनोट माता
भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित और जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर की दूरी पर तनोट माता का मंदिर है। मंदिर करीब 1200 वर्ष प्राचीन माना जाता है। तनोट को भाटी राजपूत राव तनुजी ने बसाया था और यहां पर ताना माता का मंदिर बनवाया था, जो वर्तमान में तनोटराय मातेश्वरी के नाम से जाना जाता है। मंदिर की पूजा-अर्चना सहित सारी व्यवस्थाओं का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल ही संभालता है।तेमड़ेराय माता
जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में बना तेमड़ेराय माता का मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र हैं। बताया जाता है कि केशरीसिंह ने विक्रम संवत 1432 में इसका निर्माण करवाया था, जिसमें गोगली राजपूतों ने सहयोग दिया था। मान्यता है कि पहाड़ी की गुफा में रहने वाले तेमड़ा राक्षस का देवी ने वध किया था।देगराय माता
देगराय माता मंदिर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर स्थित है। मान्यता है कि एक दैत्य का वध कर उसके सिर को ‘देग’ बना दिया था। इस कारण देवी को देगराय नाम से जाना जाता है। नवरात्र के दिनों में यह पूजा-उपासना का अधिक महत्व है।