सैद्धांतिक स्वीकृति जारी
बजट घोषणा के बाद अहम प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार के स्तर से सैद्धांतिक और प्रशासनिक स्वीकृति जारी हो चुकी है। 1 करोड़ 10 लाख रुपए की लागत से एजेंसी की ओर से डीपीआर बनाने का कार्य किया जाएगा। उसके बाद प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के बाद विभिन्न स्तर पर क्वेरी, संशोधन और उसके बाद कमियों को दूर करते हुए प्रोजेक्ट क्रियान्विति पर कार्य किया जाएगा।तय होगा रूट और अलाइनमेंट
प्रोजेक्ट की क्रियान्विति से पूर्व उसके संभावित रूट, धरातल के विकल्प तलाशे जाते हैं। डीपीआर में एजेंसी की ओर से प्रोजेक्ट की डिजाइन, अलाइनमेंट और संभावित रास्ते के विकल्प प्रस्तुत किए जाएंगे। एजेंसी की ओर से उपलब्ध करवाए गए प्रोजेक्ट में से विभागीय स्तर से सहज और सुगम रूट को तय करने की प्रक्रिया चलेगी। अंत में विकल्पों में से बेहतर विकल्प को तय माना जाता है।इस रूट की चर्चाएं
प्रोजेक्ट की क्रियान्विति हालांकि डीपीआर बनने के बाद ही तय होती है, लेकिन विभागीय स्तर पर बिशनगढ़ की तरफ से नेशनल हाईवे 325 से शुरुआत के साथ लेटा के पास नेशनल हाईवे 325 तक रिंग रोड का बेहतर विकल्प माना जा रहा है। इस विकल्प में नेशनल हाईवे 325 से होते हुए सांफाड़ा-कोलर फांटा, भागली, गोल निंबड़ी होते हुए लेटा के पास नेशनल हाईवे 325 से रिंग रोड की कनेक्टिविटी की संभावना है। यह पूरा रिंग रोड 30 से 35 किमी लंबा हो सकता है।भविष्य से जुड़ा प्रोजेक्ट, मंशा ट्रेफिक रिलिफ की
जालोर जिला मुख्यालय की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। शहर का दायरा काफी बढ़ता जा रहा है। यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण और दूरगामी है। इस प्रोजेक्ट की क्रियान्विति से जालोर के आस पास ट्रेफिक रिलिफ कोरिडोर बन जाएगा। शहरी यातायात व्यवस्था बेहतर होगी। सर्वाधिक फायदा ग्रेनाइट उद्योग को मिलेगा। भारी कंटेडर, लोडर, टे्रलर को आबादी क्षेत्र में आने की जरुरत नहीं होगी। इसी मंशा से मुख्य सचेतक राज्य सरकार जोगेश्वर गर्ग ने व्यक्तिगत स्तर पर प्रोजेक्ट की राज्य सरकार से डिजायर की थी। जिस पर यह स्वीकृति मिली।जालोर के निकट रिंग रोड प्रस्तावित है। प्रोजेक्ट के लिए सैद्धांतिक और प्रशासनिक स्वीकृति जारी हो चुकी है। अब प्रोजेक्ट डीपीआर के लिए टैंडर प्रोसेस शुरु होने वाला है।
रमेश सिंगारिया, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी, जालोर