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अनूठी मिसाल बना राजस्थान का यह सरकारी स्कूल, जहां शिक्षक और स्टूडेंट्स नहीं लिखते जाति

Jalore News: स्कूल के संस्थापन सूचना बोर्ड पर प्रत्येक स्टाफ का पदनाम का उल्लेख किया गया है।

जालोरApr 01, 2025 / 07:47 am

Alfiya Khan

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खुशालसिंह भाटी
जालोर। सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक स्तर सुधारने की कड़ी में कई तरह के नवाचार किए जाते हैं। विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने और बिना किसी भेदभाव के लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा के लिए जसवंतपुरा पीएमश्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का प्रयास कुछ खास है।
यहां जातिवादी और भेदभाव की दुर्भावना को दूर करने के सकारात्मक प्रयास की कड़ी में स्कूल बोर्ड या रजिस्टर में स्कूल स्टाफ का नाम ही अंकित है। किसी भी स्टाफ की जाति का उल्लेख नहीं किया गया है। स्कूल में यह पहल तत्कालीन संस्था प्रधान विक्रमसिंह के कार्यकाल में वर्ष 2018-19 में शुरु हुई, जो अब इस स्कूल का हिस्सा बन चुकी है और इसका अनुसरण विद्यार्थियों ने भी कर लिया है।

स्कूल चार्ट पर स्टाफ के केवल नाम अंकित

स्कूल के संस्थापन सूचना बोर्ड पर प्रत्येक स्टाफ का पदनाम का उल्लेख किया गया है। वहीं उसके सामने केवल उसके नाम का उल्लेख हैं। कहीं पर स्टाफ की जाति का उल्लेख नहीं किया गया है।

शिक्षा का स्तर सुधरा, बेहतर नामांकन

जिले की बेहतर स्कूलों में जसवंतपुरा का यह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय है। विद्यालय में 2018 से पूर्व 500 के करीब नामांकन था। लेकिन विद्यालय में लगातार नवाचार के साथ शैक्षणिक गुणात्मकता में हुए सुधार का असर यह रहा कि वर्तमान में स्कूल में 900 के करीब नामांकन है। जिसमें 500 के करीब बालिकाएं अध्ययनरत हैं।

नोटबुक-पुस्तक में भी उल्लेख नहीं

विद्यालय स्टाफ और स्कूली बच्चों के केवल स्कूल रिकॉर्ड में ही उनकी जाति या वर्ग का उल्लेख किया गया है। 2020 में विद्यार्थियों को भी जातिवादी भावना से दूर रहते हुए सकारात्मक मानसिकता से अध्ययन के प्रति प्रेरित करने के लिए इस पहल से जोड़ा गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि वर्तमान में स्कूली बच्चों की नोट बुक और पुस्तकों पर भी जाति का उल्लेख नहीं है। केवल उनके नाम का ही उल्लेख विद्यार्थी स्वयं करते हैं।

छह साल में बेहतर परिणाम मिले

शैक्षणिक स्तर बेहतर रहे और विद्यार्थी केवल अध्ययन पर ही फोकस करे इसलिए यह सकारात्मक पहल की गई थी।। पिछले करीब 6 साल में इसके बेहतर परिणाम मिले। नामांकन दोगुना हुआ। वहीं परिणाम भी लगभग 100 प्रतिशत ही रहता है।
दिनेश विश्नोई, कार्यवाहक संस्था प्रधान, राउमा विद्यालय, जसवंतपुरा

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