scriptMNREGA: जालोर ग्रामीण में 70 हजार श्रमिक, 36 हजार से अधिक जॉबकार्ड जारी, रोजगार मिल रहा मात्र 3 हजार को | Raniwada Panchayat Samiti workers have 36 thousand 278 job cards, 3 thousand 193 got employment | Patrika News
जालोर

MNREGA: जालोर ग्रामीण में 70 हजार श्रमिक, 36 हजार से अधिक जॉबकार्ड जारी, रोजगार मिल रहा मात्र 3 हजार को

अधिकारियों की मॉनिटरिंग के अभाव में मनरेगा योजना लक्ष्य से भटकती नजर आ रही है। नजरंदाजी से मनरेगा के तहत होने वाले नाडी खुदाई, ग्रेवल सहित सभी कार्य बंद हैं।

जालोरJun 17, 2025 / 03:15 pm

Rakesh Mishra

MNREGA News

भंवरिया में चल रहा मनरेगा के तहत कार्य- फोटो पत्रिका

भंवरसिंह धानोल
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) राजस्थान के जालोर के ग्रामीण क्षेत्र में कागजी साबित हो रही है। रानीवाड़ा पंचायत समिति क्षेत्र की बात करें तो यहां 70 हजार 600 ग्रामीण श्रमिक हैं और 36 हजार 278 जॉबकार्ड बने हुए हैं, जबकि मात्र 3 हजार 193 श्रमिकों को ही रोजगार मिल रहा है।

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योजना के मूल उद्देश्य की बात करें तो गांवों में अभावग्रस्त वर्ग को रोजगार उपलब्ध करवाने को लेकर इसे क्रियान्वित किया गया था। अब अधिकारियों की मॉनिटरिंग के अभाव में योजना लक्ष्य से भटकती नजर आ रही है। नजरंदाजी से मनरेगा के तहत होने वाले नाडी खुदाई, ग्रेवल सहित सभी कार्य बंद हैं।

नहीं हल हुई समस्या

ग्राम पंचायत स्तर से सरपंचों और ग्रामीणों ने समस्याओं लेकर अधिकारियों को कई बार अवगत करवाया, लेकिन उसके बाद भी समस्या का हल नहीं निकला है। रानीवाड़ा की श्रमिक दिवाली देवी ने कहा कि जॉब कार्ड बना हुआ है, लेकिन काम नहीं मिल रहा है, जिससे आर्थिक तंगी के हालात है। फिरोज देवी का कहना है आर्थिक तंगी की स्थिति में परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।

इस तरह से समझें श्रमिकों की समस्या

रानीवाड़ा पंचायत समिति के बामनवाड़ा में कुल 1445 श्रमिक हैं, जिसमें से सिर्फ 41 श्रमिकों रोजगार मिल रहा है। रामपुरा में 1181 श्रमिकों में से मात्र 27 श्रमिकों को ही रोजगार मिल रहा है। तावीदर में 2306 में से 146 को ही रोजगार मिल रहा है। इसी तरह आखराड़ में 1943 में से 102, आजोदर में 2719 में से 45 को, आलड़ी में 2688 में से 57 को, कुड़ा में 2596 में से 165 को, करड़ा में 3151 में से 20 श्रमिकों को, करवाड़ा में 2299 में से 15 को, कागमाला में 1553 में से 268 को ही रोजगार मिला।
वहीं कोड़का में 2252 में से 109 को, गांग 2413 में से 222 को, चाटवाड़ा में 1626 में से 80 को, चितरोडी में 1978 में से 112 को, जाखड़ी 1444 में से 46 को, जालेरा खुर्द में 3334 में से 4 को, जोड़वास में 1651 में से 228 को, डूंगरी में 922 में से 109 को, दईपुर में 2178 में से 129 को, दांतवाड़ा में 2467 में से 60 को, धानोल में 2472 में से 165 को, धामसीन में 1536 में से 37 को, बड़गांव में 2439 में से 47 को, मेडा में 2517 में से 186 को, मैत्रीवाड़ा में 3080 श्रमिकों में से 10 को, मालवाड़ा में 2643 में से 7 को, रतनपुर में 2931 में से 55 को, रानीवाडा कल्ला में 3296 में से 6 को, रानीवाड़ा खुर्द में 1899 में से 185 को, वणधर में 2603 में से 219 को, सूरजवाडा में 1960 में से 68 को एवं सिलासन में 2078 श्रमिकों में से केवल 223 को ही रोजगार मिल रहा है।
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इन्होंने कहा

हमारी ग्राम पंचायत में 2 हजार से अधिक श्रमिक हैं। कार्य स्वीकृति नहीं होने से दिक्कत है। वर्तमान में मात्र 129 ग्रामीणों को ही रोजगार मिल रहा है।
लखमीदेवी, सरपंच, ग्राम पंचायत दईपुर
पुराने स्वीकृत कार्य भी पूरे होने को हैं। नए कोई कार्य स्वीकृत नहीं हुए है। इस स्थिति में यहां मनरेगा श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा।
मंजू देवी, सरपंच, ग्राम पंचायत जालेरा

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