नगरपरिषद में आयुक्त व कर्मचारी लगाने समेत कई मांगों को लेकर शनिवार को पार्षद अंजना बैरवा व परमानंद भील अपने समर्थकों के साथ मिनी सचिवालय के गेट पर धरने पर बैठ गए। पार्षद प्रभारी मंत्री को समस्याओं से अवगत कराना चाहते थे।
पार्षद अंजना बैरवा ने बताया कि 7 फरवरी 2024 को तत्कालीन आयुक्त अशोक शर्मा का तबादला हुआ था। तब से नगरपरिषद में स्थायी आयुक्त नहीं है। वहीं हाल ही में जारी सूची में सात कर्मचारियों का भी तबादला कर दिया। ऐसे में नगरपरिषद में स्टाफ की कमी हो गई है। यहां कर्मचारी व आयुक्त नहीं होने से लोगों के कई जरूरी काम नहीं हो पा रहे हैं। बैरवा ने बताया कि शहर की लाइट व सफाई व्यवस्था बदहाल हो रही है। सड़कों के काम अधूरे पड़े हैं। इन सभी मांगों से वे प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी को अवगत कराना चाहते थे। उनकी मांग थी कि प्रभारी मंत्री आकर उनकी पीड़ा सुने लेकिन इस दौरान पुलिस ने उन्हें व समर्थकों को जबरन वेन में बिठा लिया और कोतवाली ले गई। बाद में प्रभारी मंत्री के कार्यक्रम के बाद छोड़ दिया गया।
धरने पर बैठे पार्षद अंजना बैरवा, पार्षद परमानन्द भील, शहर वासी गायत्री, निशा यादव, अनिता मेघवाल, सुशीला मेघवाल, रेखा, करण यादव, प्रेरणा, ललित चर्चित यादव, इन्द्रा आदि ने बताया कि जायज मांगों को भी अगर जिले के प्रभारी मंत्री नहीं सुनेंगे तो कौन ध्यान देगा।
पार्षद व उनके समर्थक प्रभारी मंत्री के काफिले को रोकना चाहते थे जबकि उनको ज्ञापन देने के लिए सर्किट हाउस भी बुलाया लेकिन उन्होंने ज्ञापन भी नहीं दिया। हंगामे की आशंका में उन्हें वेन में बिठाकर कोतवाली ले गए और समझाइश कर छोड़ दिया।
हर्षराज सिंह खरेड़ा, पुलिस उपाधीक्षक