उन्होंने कार्यभार ग्रहण के समय विभिन्न संगठन उन्हें फूल मालाएं पहनाने पहुंचे, लेकिन उन्होंने केवल पंद्रह मिनट ही स्वागत-सत्कार को दिए। इसके तुरंत बाद उन्होंने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, फाइनेंस कंट्रोलर, डिप्टी रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, सभी डीन और डायरेक्टर्स की बैठक ली। बैठक में वित्तीय प्रबंधन का मुद्दा मुख्य रूप से छाया रहा। विशेष रूप से पेंशन समस्या पर उन्होंने गंभीरता दिखाई।
उन्होंने कहा कि व्यास विश्वविद्यालय के पास संभाग के करीब 400 कॉलेज सम्बद्ध है, फिर भी पैसे की कमी क्याें है। इस पर फाइनेंस कंट्रोलर (एफए) दशरथ सोलंकी ने विवि की पूरी फाइनेंस व्यवस्था की डिटेल दी। सोलंकी ने कहा कि सम्बद्ध कॉलेजों से हर साल करीब 55 करोड़ रुपए प्राप्त हो रहे हैं।
जोधपुर जेएनवीयू विवि की सालाना आय करीब 90 करोड़ है, जबकि पेंशन मद में ही हर साल 96 करोड़ खर्च हो जाते हैं। इससे विवि में आर्थिक तंगी बनी रहती है। इस पर कुलपति ने पेंशन के लिए एक कमेटी बनाकर समस्या के स्थाई समाधान करने को कहा।
रजिस्ट्रार व एफए मेरे दो पिलर
कार्यवाहक कुलपति डॉ. अजीत कुमार ने पहली ही बैठक में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि रजिस्ट्रार और एफए उनके दो पिलर हैं। कोई भी वित्त संबंधी मुद्दा एफए और प्रशासनिक मुद्दा रजिस्ट्रार के जरिए ही उन तक पहुंचना चाहिए, तभी वे इस पर गौर करेंगे।
पेटेंट के लाएं प्रोजेक्ट
कुलपति ने शिक्षकों से कहा कि उनको अपने रिसर्च को पेटेंट करवाने के बारे में सोचना चाहिए। इसके लिए अधिक से अधिक प्रोजेक्ट विवि को प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिए। पेटेंट से ही विवि का उन्नयन होगा। शिक्षकों की कमी पर चिंतित
व्यास विवि में शिक्षकों के करीब छह सौ पद है, लेकिन वर्तमान में कार्यरत करीब 170 हैं। शिक्षकों के अधिक पद खाली होने पर उन्होंने चिंता प्रकट की।