याचिकाकर्ता दिनेश कुमार ने 26 जुलाई 2024 के अपने बर्खास्तगी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता पर आरोप था कि उसने बिना स्वीकृत अवकाश के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने और एक आपराधिक मामले में अपनी गिरफ्तारी की जानकारी छिपाई। हालांकि न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकल पीठ ने पाया कि अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने अपने आदेश में 2018 के रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में दिनेश कुमार के डमी कैंडिडेट के रूप में शामिल होने के आधार पर निष्कर्ष निकाला।
चार्जशीट के आरोप संख्या-3 का अवलोकन करने पर पता चलता है कि याचिकाकर्ता किसी आपराधिक मामले में शामिल था, लेकिन यह आरोप केवल उसकी गिरफ्तारी की जानकारी छिपाने तक ही सीमित है। जबकि, अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने यह निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता आरपीएफ
एसआई भर्ती परीक्षा 2018 में डमी कैंडिडेट के रूप में शामिल हुआ।
सही आकलन नहीं किया
पीठ ने कहा कि प्राधिकारी ने तथ्यात्मक स्थिति का सही आकलन नहीं किया और केवल यह मानकर कार्रवाई की कि याचिकाकर्ता डमी कैंडिडेट के रूप में शामिल हुआ। कोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश को कानून और तथ्यों के विपरीत मानते हुए रद्द कर दिया। साथ ही अनुशासनात्मक प्राधिकारी को निर्देश दिया कि चार्जशीट में दर्ज आरोपों का ठीक से मूल्यांकन करने के बाद एक नया निर्णय जारी किया जाए। तब तक दिनेश कुमार को सेवा में माना जाएगा।