दरअसल, हाल ही में हुए विधानसभा सत्र में विधायक रितु बनावत और हरलाल सारण ने बाजरे की MSP पर खरीदारी को लेकर सवाल उठाए थे। अब सरकार की ओर से भेजे गए जवाब में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इस साल बाजरे की MSP पर खरीदारी नहीं की जाएगी।
किसानों की मांग का किया समर्थन
गुरुवार को जोधपुर पहुंचे भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि हमारे संकल्प पत्र में यह घोषणा की गई थी, जब इसके लिए आंदोलन हुए तो मैं खुद इसका संयोजक था। उन्होंने कहा कि मैं सरकार से मांग भी करूंगा और पत्र भी लिखूंगा कि सरकार को MSP पर बाजरा खरीदना चाहिए। जब हरियाणा, गुजरात खरीद रहा है, तो हमें भी खरीदना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों की टोली ने यह कहा है कि बाजारे की लाइफ लाइन कम है और पब्लिक में इसकी डिमांड कम है। लेकिन मेरी सरकार से मांग होगी कि हमें भी खरीदना चाहिए, क्योंकि राजस्थान में 46 प्रतिशत बाजारा उत्पादित होता है। ऐसे में हमारी सरकार से यह मांग रहेगी।
बाजरे को लेकर संकल्प पत्र में वादा
बताते चलें कि 2023 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में वादा किया था कि, “हम एमएसपी पर ज्वार एवं बाजरा की खरीद की व्यवस्था करेंगे एवं श्री अन्न प्रमोशन एजेंसी की स्थापना करेंगे।”
भजनलाल सरकार ने बताई ये वजह
बताते चलें कि विधानसभा में लगाए गए सवाल के जवाब में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने कहा है कि पिछली सरकार ने बाजरे की खरीद नहीं की थी। तत्कालीन गहलोत सरकार ने कारण बताया था कि बाजरे की खरीद सार्वजनिक वितरण प्रणाली में उपयोगिता नहीं होने और बिना सप्लाई के स्टॉक बढ़ने से वित्तीय संकट हो सकता है। अब मौजूदा सरकार ने भी समर्थन मूल्य पर बाजरा खरीद नहीं करने की वजह उसी तरह की बताते हुए कहा कि जन कल्याणकारी योजनाओं में मोटे अनाज की मांग नगण्य है।