सड़क निर्माण की घोषणा
विधायक विक्रम उसेंडी ने 8 महीने पहले विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था। मंगलवार को सदन में दोबारा यह मुद्दा उठाते हुए उसेंडी ने कहा, मैंने सड़क निर्माण को लेकर 26 जुलाई 2024 को विधानसभा में प्रश्न पूछा था। बारिश खत्म होने के बाद सड़क निर्माण की घोषणा की गई। बारिश खत्म होकर ठंड गुजर गई। अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है। 5 साल निर्माण एजेंसी की ओर से रखरखाव किया जाना था। ठेकेदार ने न रखरखाव किया, न मरम्मत की।
आज सड़क पर इतने बड़े-बड़े गड्ढ़े हैं कि लोगों का चलना मुश्किल हुआ जा रहा है। उसेंडी ने पूछा कि क्यों घोषणा के बाद भी सड़क निर्माण शुरू नहीं हो पाया है? इस पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि विधायक की चिंता समझते हुए तब पिछली बार हमने स्ट्रेंथनिंग घोषणा जरूर की थी। बजट के तत्कालीन प्रावधानों के तहत जो काम करवाए जा सकते थे, उसके लिए पूरा प्रयास भी किया गया। बाद में समझ आया कि महाराष्ट्र से बॉर्डर साझा करने की वजह से इस सड़क पर ट्रैफिक बहुत ज्यादा होता है।
आज सड़क इतनी खराब है कि मरम्मत की जगह इसे दोबारा नए सिरे से बनाने की जरूरत है। इसके लिए वित्त विभाग में कोशिशें हुईं। पता चला कि 8 करोड़ से ज्यादा खर्च होंगे। राशि बड़ी है। ऐसे में इसे मुख्य बजट में शामिल करने की बात आई। इस मुख्य बजट में यह सड़क जुड़ चुकी है। मैं फिर उम्मीद करता हूं कि जल्द प्रशासकीय स्वीकृति करवाकर हम सड़क को बनवाएंगे।
विधायक के जोर देने पर मरम्मत की बात की
सरकार की ओर से मिले जवाब पर विधायक विक्रम उसेंडी का कहना था कि उस वक्त पैसे नहीं थे, तो इस सड़क को अनुपूरक बजट में शामिल करवाया जा सकता था। अगर यहां भी कोई समस्या थी, तो कम से कम मरम्मत ही करवा सकते थे। अभी सड़क इस हालत में नहीं है कि लोग इस पर सुरक्षित और सुविधाजनक ढंग से सफर कर सकें।
ऐसें में उन्होंने नई सड़क से पहले फौरी राहत के लिए कम से कम सड़क पर उभरे बड़े गड्ढों की ही मरम्मत करवाने की मांग की। इस पर डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रशासकीय स्वीकृति मिलते ही नई सड़क बनाने का काम शुरू किया जाएगा। जहां तक मरम्मत की बात है, मैं इसे दिखवाता हूं।
विधायक लता उसेंडी ने बीते दिनों कांकेर में एक भृत्य की संदिग्ध मौत का मुद्दा उठाया। उनके सवाल के जवाब में डिप्टी सीएम शर्मा ने बताया, कांकेर जिले के चरौद गांव में भृत्य योगेंद्र पटेल की मृत्यु 5 अक्टूबर 2024 को हुई। अंतिम संस्कार 6 अक्टूबर को नारायणपुर में हुआ। अंतिम संस्कार भी 6 अक्टूबर को नारायणपुर में हुआ। इस पर उसेंडी ने कहा कि चरौद गांव में शाम 6 बजे योगेंद्र की मौत मृत्यु होने की बात कही गई है। उसकी मौत सहायक आयुक्त के निवास पर हुई।
एसपी-एएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे जांच
धमतरी से एक प्राइवेट एंबुलेंस बुलाकर उसकी लाश गृहग्राम महिमागवाड़ी के लिए भेज दी गई। रास्ते में बेनूर में उसके परिजनों ने एंबुलेंस रोकी। उनकी मांग थी कि लाश का पोस्टमार्टम हो क्योंकि उन्हें मौत की वजह पता नहीं थी। तब एंबुलेंस ड्राइवर ने सहायक आयुक्त से बात कराई। अफसर का कहना था कि लाश को सीधे गृहग्राम ले जाकर अंतिम संस्कार करें। बाकी बाद में देखा जाएगा। ऐसे में उसेंडी ने पूछा कि किसी की मृत्यु होती है, तो पंचनामा कहां होना चाहिए? पोस्टमार्टम कहां होना चाहिए? डिप्टी सीएम ने जवाब दिया कि किसी की असहज मृत्यु होती है, तो पंचनामा मृत्यु के स्थान पर और पोस्टमार्टम निकटस्थ स्थान जहां संभव हो, वहां करना चहिए। तब उसेंडी ने कहा कि भृत्य की लाश बिना पंचनामा, पोस्टमार्टम
कांकेर से कोंडागांव जिला पार करते हुए नारायणपुर जिले क्यों ले जाई जा रही थी? ये सब परिजनों की जानकारी के बिना हुआ।
अगर किसी अधिकारी ने सच छिपाने की कोशिश की है तो क्या उस पर कार्रवाई करेंगे? इस पर डिप्टी सीएम ने बताया कि अब तक मामले में हैड कॉन्स्टेबल लेवल पर जांच हो रही थी। अब एसपी-एएसपी स्तर के अधिकारी इसकी जांच करेंगे। जो भी दोषी पाया जाएगा, उस परा कार्रवाई होगी।