राजनीतिक मंच की प्रतीक्षा में अटके पट्टे
प्रशासन ने करीब 40 आवेदकों के पट्टे तीन महीने पहले ही तैयार कर लिए हैं, लेकिन इन्हें वितरित करने के लिए अधिकारियों को किसी जनप्रतिनिधि के कार्यक्रम का इंतजार है। अफसर चाहते हैं कि किसी राजनीतिक आयोजन में मंच सजे, नेता आएं और उनके हाथों से ही पट्टों का वितरण हो। नतीजतन, तीन महीने से ये पट्टे कलेक्ट्रेट की अलमारी में कैद हैं और लाभार्थी हर दिन चक्कर काट रहे हैं। आखिर एक सवाल उठता है कि ‘क्या प्रशासन का कर्तव्य सिर्फ नेताओं के साथ मंच साझा करना रह गया है? ज़मीनी हक के लिए भटक रहे आम लोगों की भावनाओं का क्या?’
जांच की प्रतीक्षा में आवेदन
धारणाधिकार योजना के तहत 1 जून 2023 से 31 जुलाई 2023 तक करीब 2260 सिंधी परिवारों से आवेदन लिए गए थे। लेकिन इनमें से करीब 1300 आवेदन अब भी एसडीएम कार्यालय में जांच की प्रतीक्षा में हैं। नजूल शाखा ने जांच के लिए आवेदन भेजे, प्रतिवेदन मांगे गए, लेकिन डेढ़ साल बाद भी अधिकांश मामलों में जांच अधूरी है। ऐसा प्रतीत होता है मानो ये फाइलें जानबूझकर लंबित रखी जा रही हों। आवेदकों का कहना है कि वे महीनों से दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक गए हैं, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहा है। उनका आरोप है कि अधिकारी जानबूझकर प्रक्रियाएं लटकाते हैं, जिससे काम समय पर न हो। छह माह से ठप पड़ा पट्टा वितरण
पिछले छह महीनों से कटनी जिले में धारणाधिकार योजना के अंतर्गत किसी भी लाभार्थी को पट्टा वितरित नहीं किया गया है। आवेदनों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी से ज़मीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हो रहा। अगर यह सुस्ती इसी तरह जारी रही तो आने वाले महीनों में यह संख्या और बढ़ सकती है और साथ ही साथ आम जनता का भरोसा भी प्रशासन पर से उठ सकता है।
प्रशासन का वहीँ पुराना जवाब
इस संबंध में डिप्टी कलेक्टर प्रमोद चतुर्वेदी का कहना है कि माधवनगर क्षेत्र से किए गए आवेदनों की जांच की जा रही है और संबंधित अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए जा चुके हैं। उनका दावा है कि कुछ प्रकरणों में पट्टे वितरण के लिए तैयार हैं, जिन्हें जल्द ही वितरित किया जाएगा और बाकी आवेदनों पर भी शीघ्र कार्रवाई होगी। हालांकि यह ‘जल्द’ कब आएगा, इसकी कोई समयसीमा नहीं बताई गई है। और जब इंतजार दशकों का हो, तब हर ‘जल्द’ एक और वादाखिलाफी ही लगती है।