कटनी. वित्तीय वर्ष के ढाई माह समाप्त हो जाने और दो बार की नगर निगम सम्मिलन बजट बैठक अधिकारियों की बजट नोटसीट में विसंगति के कारण विपक्ष सहित सत्तापक्ष के पार्षदों द्वारा तीखा विरोध जताए जाने पर पास नहीं हो पा रहा था। स्थगित बैठक बुधवार को फिर आयोजित हुई और दोपहर 12 बजे से शुरू हुए नगर निगम सम्मिलन में लगभग 32 मिनट की चर्चा के बाद 511 करोड़ 26 लाख 26 हजार वाले बजट पर ध्वनिमत से मुहर लगी। बजट पास होने से अब शहर विकास की राह आसान हो जाएगी। नगर निगम अध्यक्ष मनीष पाठक की अध्यक्षता में नगर निगम सम्मिलन को अंजाम दिया गया। बैठक में महापौर प्रीति सूरी, विधायक संदीप जायसवाल, आयुक्त नीलेश दुबे, उपायुक्त शैलेष गुप्ता सहित एमआइसी सदस्य, पार्षद व विभागों के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे। बैठक में अधिकारियों की मनमानी, नियम विरुद्ध तरीके से होने वाले ठेके, कार्यों और सरकारी बंगले में सेवानिवृत्ति के बाद भी एक साल से कब्जा होने का मुद्दे छाये रहे। कांग्रेस ने जमकर नगर सरकार को घेरने का प्रयास किया। नगरपालिक निगम का वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट नियम-2018 लेखा नियमावली के आधार पर तैयार किया गया है, जिसके अनुसार बजट आय एवं व्यय की मदों में सात अंको का कोड दिया जाकर लेखा शीर्ष नियमावली के अनुसार कोड डाले गए हैं। राजस्व आय एक सौ चौतीस करोड़ चौसठ लाख छब्बीस हजार चार सौ सत्तर रुपए अनुमानित है एवं राजस्व व्यय 127 करोड़ 62 लाख बीस हजार मात्र अनुमानित है। इस प्रकार राजस्व व्यय पर आय का अधिक्य सात करोड़ दो लाख 6 हजार 470 रुपए एवं पूंजीगत प्राप्तियों 376 करोड़ 85 लाख छह हजार रुपए होने का अनुमान है जबकि पूंजीगत व्यय 383 करोड़ 64 लाख छह हजार रुपए होने का अनुमान है। इस प्रकार आय पर व्यय का अधिक्य (पूंजीगत घाटा) छह करोड़ 79 लाख रुपए होने का अनुमान है। राजस्व पूंजीगत प्राप्ति पांच सौ ग्यारह करोड़ 49 लाख 32 हजार 470 रुपए एवं राजस्व एवं पूंजीगत व्यय राशि पांच सौ ग्यारह करोड़ 26 लाख 26 हजार रुपए अनुमानित है। कुल व्ययों पर आय का अधिक्य 23 लाख 670 रुपए लाभ का बजट तैयार किया गया है।
बैठक में पार्षद मिथलेश जैन ने कहा कि सुरम्य पार्क में ठेका कंपनी को सुरम्य पार्क नियमों को ताक में रखकर दिया गया है। नीतिगत विषय होने के बाद भी परिषद में नहीं रखा गया। ठेकेदार को खुद बिजली की व्यवस्था करनी थी, लेकिन यहां पर चोरी की बिजली चल रही है। कंपनी से 12 रुपए प्रति गेलन पानी का चार्ज वसूलना था, लेकिन नहीं वसूला गया। इस पर नगर निगम के अधिकारियों पर ठेका कंपनी को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। नियम और प्रक्रिया के संबंध में भी अधिकारी जवाब नहीं दे पाए। इस पर अध्यक्ष मनीष पाठक ने जांच कराए जाने की बात की।
बंगले का कब्जा खाली नहीं करा पा रहे अफसर
बैठक में नगर निगम के बंगले में पूर्व आयुक्त विनोद शुक्ला जो कि एक साल पहले सेवानिवृत्त हो गए हैं, उनका कब्जा है। सामान रखा हुआ है। इस पर मिथलेश जैन ने खाली कराने, किराया वसूली करने आदि की बात रखी। इस पर आयुक्त ने विधि संगत कराई करने की बात कही।
खास-खास
निगम की शुद्ध राजस्व आय अए संपत्तिकर, समेकित, जलउपभोगता प्रभार, कॉलोनी विकास, शिक्षा उपकार, निगम संपत्तियों से किराया और शुल्क एवं उपभोक्ता प्रभार से आती हैं। पूंजीगत प्राप्तियां केंद्र शासन की योजना 15 वे वित्त आयोग, अमृत 1.0, अमृत 2.0, स्वछता मिशन, आदि एवं राज्य शासन की योजना मूलभूत, सडक़ मरम्मत एवं अनुरक्षण, एसडीआरएफ मद, कायाकल्प, मुख्यमंत्री अधोसंरचना, तृतीय-चतुर्थ चरण राज्य वित्त आयोग, अदि योजनाओं से प्राप्त होने वाली राशि प्रस्तावित बजट है।
बैठक में बेहतर राजस्व वसूली करने वाले कर्मचारियों व समय पर टैक्स जमा करने वाले उपभोक्ताओं को सम्मानित करने की बात पार्षद मिथलेश जैन ने रखी।
पार्षद अवकाश जायसवाल ने नगर निगम की ओर से शहर में शव वाहन चलाए जाने सहित अन्य मुद्दों को प्रमुखता से रखा।
पार्षद मौसूफ अहमद ने बजट की संशोधित प्रति न मिलने पर जताई आपत्ति, बढ़ाए जाने वाले टैक्स का जमकर विरोध किया, प्रस्तावों में गिनाईं त्रुटियां, कर्मचारी दुर्गा उत्सव समिति की राशि बढ़ाए जाने की पैरवी।
एमएसडब्ल्यू का छाया रहा मुद्दा
बैठक में शहर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने वाली कंपनी एमएसडब्ल्यू की मनमानी का मुद्दा छाया रहा। पडऱवारा प्लांट में 3 लाख टन से अधिक कचरे का ढेर लगा होने, मृत मवेशियों को मशीन में डिस्पोज करने की बजाय कचरे में दफनाने से क्षेत्र में फैलने वाली दुर्गंध, भविष्य मं ेपानी प्रदूषित होने, नियमों का पालन न करने, मनमाना भुगतान किए जाने का मुद्दा पार्षद मिथलेश जैन ने उठाया। पार्षद ने कहा कि 30 रुपए के काम का बिल कंपनी द्वारा 100 रुपए बनाया जा रहा है और फिर नगर निगम के अफसर 30 रुपए की कटौती दिखाकर वाहवाही बता रहे हैं। कंपनी के खिलाफ शिकायत पर पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा की जा रही कार्रवाई का भी जिक्र किया। कंपनी द्वारा सीएसआर मद की राशि खर्च न करने का भी मुद्दा उठाया।
बगैर नियम दोगुना किया जा रहा था समेकित कर
परिषद की बैठक में समेकित कर को दोगुना करने का प्रस्ताव रखा जा रहा था। 180 रुपए की जगह 360 रुपए का प्रस्ताव आया था। इस पर पार्षद मिथलेश जैन ने आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि यह अधिकार शासन को है। नियम-कायदे पूछे तो अधिकारी जवाब नहीं दे पाए। तीखी बहश के बीच यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया।
राशि वसूली नहीं, घटाने हो रहा था खेल
नर्सिंग होम पर ट्रेड लाइसेंस शुल्क को 50 प्रतिशत कम करने का प्रस्ताव रखा गया। इसका पार्षदों ने विरोध किया। एक लाख 40 रुपए शुल्क निर्धारित है। 2011 से वसूल नहीं किया गया। बगैर कोई कारण रखे 50 प्रतिशत कम करने प्रस्ताव रख दिया। इस पर तीखी बहश हुई। यह निर्णय भी नहीं हो पाया। कई छोटी प्रतिष्ठानों में 50 फीसदी तक और बड़ी-बड़ी फर्मों में महज 10 फीसदी ही बढ़ाया जा रहा था। लोगों से चर्चा करने के बाद ही नवीन प्रस्ताव बनाने कहा गया।
दिव्यांग पार्षद ने संभाली अध्यक्ष की कुर्सी, भावुक हुआ सदन
परिषद की बैठक के बीच एक ऐसा पल भी आया जब नगर निगम अध्यक्ष मनीष पाठक ने दिव्यांग पार्षद मदन मोहन चौबे वार्ड से सुशीला कोल का मान बढ़ाया। अध्यक्ष की आसंदी पर बैठाया। इस दौरान एमएसडब्ल्यू के कार्यप्रणाली पर चर्चा हुई। अध्यक्ष की इस पहल से पूरा सदन भावुक हो गया। दिव्यांगता को अभिषाप समझने वाले लोगों के लिए यह करारा जवाब रहा। सुशील कोल ने अपनी कमजोरी को न सिर्फ ताकत बनाया बल्कि अब एक जनप्रतिनिध बनकर वार्ड के सैकड़ों लोगों की समस्याएं हल करा रहीं हैं।
परिषद की बैठक में पानी का शुल्क भी 15 प्रतिशत बढ़ाने प्रस्ताव रखा गया। पहले 90 रुपए लग रहा था, पूर्व महापौर शशांक श्रीवास्तव के कार्यकाल में बढ़ाकर 150 रुपए कराया गया था। हर साल 5 प्रतिशत बढऩा था और 24 घंटे पानी देना था। पानी तो बढ़ा नहीं, लेकिन जलकर बढकऱ 240 रुपए प्रतिमाह हो गया है। अब 15 प्रतिशत और बढ़ाया जा रहा था। इस पर पार्षदों ने कहा कि जब 24 घंटे पानी नहीं दे रहे हैं, तो क्यों बढ़ा रहे हैं। अधिकारी कनेक्शनों की जानकारी नहीं दे पाए। यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया।
जुलाई के प्रथम सप्ताह में होगी बैठक
परिषद की बैठक में कई बिंदुओं पर चर्चा नहीं हो पाई। इस दौरान पार्षदों के पत्रों के जवाब नहीं दिए गए, पूछे गए सवालों के उत्तर नहीं मिले। पुराने निर्णयों की समीक्षा रह गई है जो अगली बैठक में चर्चा होगी। जुलाई के प्रथम सप्ताह में परिषद बैठक होगी, जिसके बाद निर्णय लिया जाएगा।
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