scriptCG Tourism: 1 नंवबर से शुरू होगा भोरमदेव अभ्यारण्य, 50 किलोमीटर सफारी का रूट तय, वन विभाग की तैयारी जोरों पर | Bhoramdev Sanctuary will start from November 1, 50 km safari route decided | Patrika News
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CG Tourism: 1 नंवबर से शुरू होगा भोरमदेव अभ्यारण्य, 50 किलोमीटर सफारी का रूट तय, वन विभाग की तैयारी जोरों पर

CG Tourism: भोरमदेव अभयारण्य में जंगल सफारी चलाने के लिए वन विभाग की टीम द्वारा ट्रैक सर्वे भी किया चुका हैं। पर्यटकों को लगभग 50 किलोमीटर का सफारी कराया जाएगा।

कवर्धाJun 20, 2025 / 02:29 pm

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CG Tourism: 1 नंवबर से शुरू होगा भोरमदेव अभ्यारण्य, 50 किलोमीटर सफारी का रूट तय, वन विभाग की तैयारी जोरों पर

1 नंवबर से शुरू होगा भोरमदेव अभ्यारण्य (Photo Patrika)

CG Tourism: भोरमदेव अभयारण्य में लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से जंगल सफारी प्रारंभ करने की तैयारी है। वन विभाग की ओर से इसकी कवायद शुरू कर दी है। लगभग 1 नंवबर से ठंड के मौसम के साथ ही शुरु कर दिया जाएगा।
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भोरमदेव अभयारण्य में जंगल सफारी चलाने के लिए वन विभाग की टीम द्वारा ट्रैक सर्वे भी किया चुका हैं। पर्यटकों को लगभग 50 किलोमीटर का सफारी कराया जाएगा। एक ही नहीं बल्कि अलग-अलग रुट है, जिसका आनंद पर्यटक ले सकेंगे। इस बार जिप्सी पूर्णत: इलेक्ट्रिक बैटरी से चलने वाला होगा। 10 इलेक्ट्रानिक जिप्सी के जरिए भोरमदेव अभयारण्य भ्रमण कराया जाएगा।
जिप्सी एक खुले वैन की तरह होगा, लेकिन यह नदी और पहाड़ों में चलने के लिए काफी कारगर है। साथ ही अन्य जिप्सी को भी ले जाने की अनुमति दी जाएगी। राज्य के अन्य स्थानों पर होने वाला जंगल सफारी प्लेन एरिया में होता है लेकिन भोरमदेव अभयारण्य में जो सफारी है वह पहाड़, नदी, झरना के बीच होकर गुजरता है इसलिए भोरमदेव सफारी खास है। वहीं छत्तीसगढ़ का पहला सफारी होगा जिसमें इलैक्ट्रिक वाहन का उपयोग किया जाएगा।
डीएफओ निखिल अग्रवाल ने बताया कि जंगल सफारी प्रारंभ करने की तैयारी है। नागपुर की टीम बुलाई गई है वह ट्रैक का निरीक्षण करेंगे। ट्रैक पर जिप्सी के साथ अन्य चार पहिया वाहन जो जंगल में चल सके उसके लिए अनुमति दी जाएगी। समिति के माध्यम से इसका संचालन किया जाएगा। संभवत: 1 नवंबर से शुरु किया जा सकता है।
भोरमदेव अभयारण्य को जानें

भोरमदेव अभयारण्य 352 वर्ग किलोमीटर में फैला कबीरधाम जिले का एकमात्र और राज्य का ११ वां अभयारण्य है। मध्यप्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और बिलासपुर क्षेत्र के अचानकमार टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर के रूप से अभयारण्य जाना जाता है। इस कॉरिडोर व भोरमदेव अभयारण्य में बाघ, बाघिन और शावक विचरण करते हैं। इसमें कई बाघ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से अचानकमार तक टहलते रहते हैं, जबकि बाकी बाघ और बाघिन का ठिकाना भोरमदेव अभयारण्य में ही है। यह क्षेत्र बाघों के लिए वातानुकूल है।
पानी पीते दिखाई देते हैं जानवर

अभयारण्य के चिन्हांकित रास्तों पर चीतल, सांभर और गौर के कई झुंड पोखर के आसपास पानी पीने हुए आसानी से दिख जाते हैं। कभी-कभी बाघ और तेंदुए भी नजर आ जाते हैं। कोर जोन और बफर जोन में वॉटर बॉडी बनाए गए है ताकि जानवरों को गर्मी के दिनों में पानी की कमी न हो। अभयारण्य चारों ओर से वनों से ढका हुआ है। चिल्फी बफर जोन में साल के वृक्ष हैं, जबकि कोर जोन में विभिन्न प्रजाति के वृक्ष मौजूद हैं।
कोर व बफर जोन में बंटा अभयारण्य

अभयारण्य दो क्षेत्रों में बंटा हुआ है, कोर व बफर जोन में। १९२ वर्ग किलोमीटर में बफर जोन है जबकि १६० वर्ग किलोमीटर में कोर जोन। इन दोनों ही क्षेत्र में प्राकृति के मनोरम दृश्य मौजूद हैं। भोरमदेव अभयारण्य के जंगल में बड़ी मात्रा जंगली जानवर हैं। बाघ और तेंदुएं के अलावा मांसाहारी जानवर में लकड़बग्घा, जंगली कुत्ता, सोनकुत्ता, भेड़िया, गीदड़, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, बिज्जू मौजूद हैं। वहीं शाकाहारी जानवर में चीतल, सांभर, गौर, नील गाय, कोटरी, भालू, जंगली सुअर, लंगुर, नेवला, खरगोश, मयूर सहित अन्य जानवर मौजूद हैं। साथ ही ७० से अधिक प्रकार के चिड़िया और तितलियां हैं।
वर्ष 2015 में हुई थी शुरुआत

जिले के भोरमदेव अभयारण्य में तत्कालीन भाजपा सरकार ने साल 2015 में जंगल सफारी की शुरूवात की थी। कान्हा के तर्ज पर यहां जिप्सी का संचालन किया गया था। करीब 3 साल यह सफारी चला। इस बीच भोरमदेव अभयारण्य क्षेत्र में नक्सली आमदगी व दो-तीन पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के चलते पर्यटकों की सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया गया। क्योंकि कभी भी मुठभेड़ के चलते बड़ी अनहोनी हो सकती थी। सुरक्षा से किसी तरह से कोई समझौता न करते हुए तत्काल सरकार ने इसे बंद करने का निर्णय लिया था। जो उस समय की परिस्थितियों के लिहाज से सही भी था। लेकिन इन छह सालों में भोरमदेव अभयारण्य की स्थिती परिस्थिति बदली है।
अब नक्सलियों का डर नहीं

पुलिस की लगातार प्रभावी कार्रवाई से नक्सली बैकफूट पर हैं। अब इन क्षेत्रों में शांति बनी हुई है। पुलिस की पहुंच है, क्षेत्र सुरक्षित है और नक्सलियों का जरा भी प्रभाव नहीं है। झलमला थाना, भोरमदेव थाना, सीएएफ कैंप खुलने से नक्सलियों के मंसूबे नाकाम हो गए। अब वे इस क्षेत्र में दोबारा सिर उठाने की स्थिती में नहीं है। वहीं कबीरधाम नक्सली जिला मुक्त होकर लीगेसी श्रेणी में शामिल हो चुका है। मतलब यहां पर अब नक्सली न के बराबर हैं। ऐसे बदले माहौल में पर्यटकों को सुविधा देने के लिहाज से एक बार फिर जंगल सफारी शुरू की जा रही है।
रोजगार भी मिलेगा

जंगल सफारी शुरू होने से पर्यटकों को सुविधा व लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही स्थानीय लोगों को इससे रोजगार भी मिलेगा। जिप्सी संचालन से मालिक के साथ-साथ चालक, गाइड को काम मिलेगा, वन अमले को राजस्व की प्राप्ति भी होगी। साथ ही लोगों को कान्हा के बराबर तो नहीं पर जो कान्हा नहीं जा सकते हैं उनके पास कम समय में, कम खर्च में सुविधा मिल सकती है। साथ ही लोग कबीरधाम जिले के वन क्षेत्र की सुंदरता से रूबरू हो सकेंगे।
दो माह पूर्व ही लिया गया फैसला

अप्रैल 2025 में अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में फैसला लिया गया था कि भोरमदेव अभयारण्य में जंगल सफ ारी शुरू किया जाए। इसे लेकर कवर्धा वन अमला ने कार्ययोजना बनाना शुरू किया। वन विभाग द्वारा जंगल सफारी के लिए जो ट्रैक चिन्हांकित किया गया है उसके सर्वे के लिए नागपुर की टीम बुलाई गई है। कुछ दिनों बाद वह इलेक्ट्रिक वाहन लेकर आएंगे और ट्रैक पर टेस्ट ड्राइव करेंगे। जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों का नागपुर की टीम द्वारा निर्धारित ट्रैक पर टेस्ट किया जाएगा।

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