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CG Suicide Case: ड्राइवर ने बस में ही लगाई फांसी, बस स्टैंड में हड़कंप, जांच में जुटी पुलिस सर्वसुविधायुक्त 10 करोड़ की लागत से बने नए हाइटेक बस स्टैण्ड का निर्माण कार्य सफेद हाथी ही साबित हुआ है। बस स्टैण्ड में वर्तमान स्थिति में कुछ भी सही सलामत नहीं बचा है। परिसर में गंदगी का आलम है। चारों तरफ मवेशियों का गोबर, शराब की बोतलें, गंदगी ही पसरा हुआ है। एक तरह से यह तबेला बन चुका है। शाम होते ही यहां शराबियों की जमघट लग जाती है।
परिसर में टूटे कांच के टुकड़े, खाली पड़ी बोतले स्थिति की कहानी साफतौर पर बयां करती दिख रही है। समय रहते इसे शुरू नहीं किया गया, तो यह परिसर पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो जाएगा। ऐसे में जिम्मेदारों को नए सड़क के बनने तक इसके रख रखाव पर ध्यान देना होगा। इसके संचालन को लेकर ट्रायल भी शुरू कर दिया जाना चाहिए। ताकि सड़क के बनने तक बस स्टैण्ड का संचालन पटरी पर दौड़ने लगे, ट्रायल रन की तरह ही संचालन शुरू किया जाना चाहिए।
अब सड़क निर्माण वर्तमान में भाजपा की सरकार आते ही नए बस स्टैण्ड के संचालन में बने सबसे बड़े रोड़े को दूर करने का प्रयास किया गया। मार्ग को चौड़ीकरण के बाद ही बसें चलाई जा सकती है, जिस पर कार्यतयोजना बनाकर 11 करोड़ रुपए से अधिक लागत से नाली व सड़क बनाने का रास्ता साफ हुआ। नगर के ठाकुर देव चौक से नए बस स्टैण्ड को जोड़ने वाय आकार में बस तक सड़क सड़क निर्माण किया जा रहा है। लेकिन यह सड़क अभी बनना सही मायने में शुरू नहीं हो सका है।
सड़क निर्माण की हालत जीरो प्रतिशत है। अभी केवल आधा किमी की दूरी तक महज आधा-अधूरा नाली का ही बस निर्माण हो सका है। मार्ग में पड़ने वाले गुरूनाले में पुलिया भी बना है। पुलिया से थोड़ा आगे ही मार्ग दो भागों में बंट जाता है। लोगों को सुविधा देने के लिहाज से दोनों तरफ सड़क चौड़ीकरण किया जा रहा है। यहां तिराहें पर भव्य व सुंदर चौक भी बनाया जाएगा।
लेट लतीफ होती रही तत्कालीन भाजपा के रमन सिंह सरकार के समय वर्ष 2016-17 में शहर से एक किमी दूर नए हाइटेक बस स्टैण्ड का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। जब तक यह बन पाता राज्य में सरकार का बदल गई। बस स्टैण्ड तीन साल में बनकर तैयार हुआ। सरकार बदलते ही पांच साल कांग्रेस की सरकार ने इस बस स्टैण्ड की सुध नहीं ली।
जनता के दबाव में व किरकिरी के चलते वर्ष 2023 के चुनाव के छह महीने पहले आनन-फानन में इसका लोकार्पण किया गया। कुछ दिन ही नए बस स्टैण्ड में बसें चलाई गई। उसके बाद फिर बस संचालक पुराने बस स्टैण्ड पर ही बसों के संचालन पर अड़े रहे, जिनके साथ तत्कालीन मंत्री, नेता व प्रशासन सख्ती नहीं कर पाई थी। यदि उस समय इस पर थोड़ा सख्त निर्णय लिया जाता तो आज हाईटेक बस स्टैण्ड से ही बसों का संचालन होता।
नगरीय प्रशासन विभाग ने शहर की जनता को सुविधा देने के लिहाज से जिला मुख्यालय में बस स्टैण्ड निर्माण के लिए भारी भरकम राशि की स्वीकृति दी थी। 10 करोड़ रुपए खर्च कर सर्वसुविधा युक्त बस स्टैण्ड का निर्माण किया भी गया, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए चौड़ा मार्ग नहीं था। सकरे मार्ग से बस चलाना मुश्किल था। ऐसे में नगर पालिका प्रशासन ने शहर के बाहर से बस को संचालन की निर्णय लिया था, लेकिन वह ज्यादा दिन
नीलामी भी व्यर्थ नए हाईटेक बस स्टैण्ड में निर्मित 8 दुकानों की नीलामी भी हुई। एक दुकान 32 लाख तो दूसरा दुकान २६ लाख रुपए में बिका। सभी दुकान एक करोड़ से अधिक पर बिके, लेकिन संचालन अब तक नहीं हो सका है। जबकि कुद बस संचालक तो कैबिन बनाकर टिकट काउंटर बना चुके थे, लेकिन बस स्टैण्ड ही संचालित नहीं हो सका। ऐसे में उनके काउंटर भी टूट गए, सामान चोरी हो गए।