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CG Road Accident: स्कूल वाहन पलटा, एक बच्चे की मौत, 4 घायल यह वाहन रोजाना सुबह से शाम तो हजारों बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से वापस घर पहुंचाने का कार्य करते रहे। यदि इस बीच किसी तरह की गंभीर सड़क दुर्घटना हो जाती तो, किसकी जिम्मेदारी होती। सबसे बड़ी
लापरवाही निजी स्कूल संचालकों की है जो वाहनों को सही हालत में नहीं रखते। साथ ही यातायात और परिवहन विभाग की ओर से जब जांच की जाती है और खामियां पायी जाती है तो एक निर्धारित समय दिया जाता है उसे दुरुस्त कराने के लिए।
बावजूद वाहन सड़क पर दौड़ते रहते हैं और
विभाग भी भूल जाते हैं कि दोबारा जांच करनी है। जबकि निर्धारित समय तक वाहन में सुधार नहीं होने पर वाहन की जब्ती या फिर लाइसेंस रद्द होनी चाहिए। इस तरह से बच्चों के जीवन से खिलवाड़ की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इस लापरवाही के चलते ही जब कभी भी हादसा होता है तो जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर ही उंगली उठती है।
नेत्रों की जांच भी कराया
35वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह 2025 के तहत 5 जनवरी 2025 को यातायात विभाग और परिवहन विभाग कबीरधाम ने विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में स्कूल वाहनों की सुरक्षा और उनके चालक-परिचालकों के स्वास्थ्य की जांच की गई। यातायात और परिवहन विभाग द्वारा प्रशिक्षित चिकित्सकों के सहयोग से आयोजित इस शिविर में 132 स्कूल बसों के चालक और परिचालकों का नेत्र व स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। जांच इसलिए भी जरुरी है कि कहीं वाहन चालक को आंखों में दिक्कत होने के बावजूद वह वाहन चला रहा है। यह गंभीर स्थिति बन सकती है।
यातायात के प्रति जागरुकता बहुत जरुरी
सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता और यातायात नियमों का पालन दुर्घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कबीरधाम पुलिस ने वाहन चालकों और परिचालकों से कहा कि वे बच्चों को सुरक्षित रूप से स्कूल ले जाने और वापस लाने में पूरी सावधानी बरतें।
जुर्माना- चेतावनी तक सीमित न रहे कार्रवाई
शिविर के दौरान कुल 122 स्कूल वाहनों की तकनीकी चेकिंग की गई। चेकिंग के दौरान 13 वाहनों में तकनीकी कमियां पाई गईं, जिन पर सुधार के निर्देश दिए गए और 34 हजार रुपए का चालान भी किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि खामी दूर होने के बाद ही वाहन पुन: संचालन के लिए अनुमत हो। हालांकि वाहन की पुन: जांच हो और तब तक वह सड़क पर दिखाई न दे यह मुश्किल है क्योंकि जुर्माना लगाकर विभाग भूल जाते हैं और संचालक किसी तरह की कार्रवाई की चिंता ही नहीं करते।
हर साल होती दुर्घटनाएं
ऐसा नहीं कि स्कूल वाहन में दुर्घटनाएं नहीं होती। मुख्य रुप से जो छोटे वाहन होते हैं अधिक हादसे उसमें ही होते हैं। लंबे समय तक वाहनों का मेंटनेंस नहीं होने के कारण एकाएक इंजन में आग लग जाना, टायर फट जाना, स्टेयरिंग फंस जाने के कारण हादसे होते हैं। जिले में बड़ी संख्या में वैन के जरिए बच्चों को स्कूल लाना ले जाना होता है, जबकि वैन और अन्य छोटे वाहनों की जांच होती ही नहीं है, जबकि सबसे अधिक हादसे इसी वाहन में होते हैं। इस ओर जिम्मेदारों को ध्यान देने की आवश्यकता है।