गेवरा, दीपका, कुसमुंडा में कोयला उत्पादन ठप, SECL की मेगा परियोजनाओं पर बारिश का असर
CG News: छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी के डीएसपीएम प्लांट में कोयले की दैनिक खपत 7.6 हजार टन है। लेकिन यहां 38 दिन का 3 लाख 11 हजार टन कोयला उपलब्ध है।
कोयला खदान के उत्पादन में आई गिरावट (Photo source- Patrika)
CG News: कोयला उत्पादन में लक्ष्य से पीछे चल रहे एसईसीएल की खदानों के लिए बारिश ने चिंता और बढ़ा दी है। आषाढ़ में रुक-रुक कर हो रही तेज बारिश से एसईसीएल की मेगा परियोजनाओं में कोयला उत्पादन खासा प्रभावित हुआ है। एसईसीएल की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा में डेली कोल प्रोडक्शन तय लक्ष्य से आधा हो गया है। मेगा प्रोजेक्ट दीपका और कुसमुंडा का भी यही हाल है।
एसईसीएल की अन्य खदानों पर भी बारिश के कारण कोयला उत्पादन बाधित हुआ है। एसईसीएल की खदानों में उत्पादन घटने का सीधा असर बिजली प्लांट पर पड़ता है। क्योंकि अधिकांश प्लांटों में एसईसीएल की खदानों से ही कोयले की सप्लाई होती है। हालांकि बिजली प्लांटों में अभी वर्तमान जरूरत के अनुसार कोयले की उपलब्धता है। लेकिन खदानों में कोयला उत्पादन को लेकर यही हालात आगे भी रहे तो बिजली प्लांटों को कोयले की कमी से जूझना पड़ सकता है।
कोरबा जिले में संचालित एसईसीएल की लगभग सभी ओपन कास्ट माइंस में डीप फेस पर जहां से कोयला उत्खनन होता है, वहां पानी आ जाने के कारण कोयला उत्पादन में काफी सावधानी बरतनी पड़ रही है। इससे लक्ष्य के अनुसार कोयला उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
बिजली उत्पादन कंपनी के प्लांट में कोयले का स्टॉक
छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी के डीएसपीएम प्लांट में कोयले की दैनिक खपत 7.6 हजार टन है। लेकिन यहां 38 दिन का 3 लाख 11 हजार टन कोयला उपलब्ध है। बिजली कंपनी के एचटीपीपी प्लांट में हर दिन 21.6 हजार टन कोयले की खपत होती है। अभी यहां 13 दिन का 2 लाख 86 हजार टन कोयला उपलब्ध है। बिजली कंपनी के मड़वा प्लांट में हर दिन 15.9 हजार टन कोयले की खपत है। लेकिन यहां अभी 40 दिनों का 5 लाख 81 हजार टन कोयला है। बिजली कंपनी के प्लांट में एचटीपीपी की अपेक्षा डीएसपीएम और मडवा में कोल स्टॉक बेहतर है।
खदानें लक्ष्य से पीछे
CG News: जिले में एसईसीएल की खदानें वर्तमान उत्पादन लक्ष्य से पीछे चल रही हैं। गेवरा खदान को इस वर्ष 63 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। अब तक 16.30 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद थी, लेकिन 13.29 मिलियन टन ही उत्खनन हुआ है। कुसमुंडा खदान को इस वर्ष 50 मिलियन टन कोयला उत्खनन करना है। लेकिन अब तक के लक्ष्य 12.77 मिलियन टन से कम 7.59 मिलियन टन कोयला उत्पादन हुआ है।
दीपका खदान के लिए वार्षिक उत्पादन लक्ष्य 40 मिलियन टन तय किया गया है। खदान से अब तक 10 मिलियन टन कोयला उत्पादन की उम्मीद थी ,लेकिन 8.23 मिलियन टन कोयला उत्खनन हुआ है। कोरबा एरिया को 8.7 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना है। अभी तक यहां से 2.11 मिलियन टन कोयला उत्पादन होना था लेकिन अभी तक 1.84 मिलियन टन कोयला खदानों से बाहर निकला है।
सनीषचंद्र, जनसंपर्क अधिकारी, एसईसीएल बिलासपुर: बारिश से खनन प्रभावित हुआ है। हालांकि कंपनी के स्टॉक में पर्याप्त कोयला मौजूद है। यहां से बिजली संयंत्रों को रेल व सड़क मार्ग के रास्ते कोयले की आपूर्ति की जा रही है।
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