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जब लड़कियां चौखट नहीं लांघ सकती थी तब बनीं डॉक्टर, मिसाल है राजस्थान की पहली महिला चिकित्सक

International Women’s Day Special: महिला दिवस पर पढ़िए राजस्थान की पहली महिला डॉक्टर पार्वती गहलोत की कहानी।

जयपुरMar 08, 2025 / 10:01 am

Ravi Gupta

rajasthan first women doctor story in hindi on International Womens Day

महिला दिवस 2025: राजस्थान की पहली डॉक्टर

Rajasthan First Women Doctor Parvati Gehlot: 21वीं सदी में बेटियों को पढ़ाने के लिए सरकार को अभियान चलाना पड़ता है। ऐसे में सोचिए, आजादी से पहले भारत की महिलाओं को पढ़ने के लिए क्या कुछ करना पड़ता होगा। चाहे सावित्री बाई फूले हो या उस दौरान की वो क्रांतिकारी सोच वाली महिलाएं जो हमारे लिए मिसाल बनीं और महिलाओं के लिए सामाजिक बेड़ियों को तोड़ने का काम किया। तब जाकर आज हम अंतरिक्ष से लेकर खेल के मैदान तक लड़कियों को देख पा रहे हैं। और ऐसी ही कहानी है राजस्थान की पहली महिला डॉ. पार्वती गहलोत की (Dr. Parvati Gehlot Story)।

International Women’s Day Special | महिला दिवस स्पेशल

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राजस्थान की पहली महिला डॉक्टर से जुड़े तथ्य

साल 1928 में पार्वती गहलोत बनीं डॉक्टर

ये बात है साल 1928 की और हमें आजादी मिली 1947 में, इस हिसाब से आजादी मिलने के 19 साल पहले ही पार्वती गहलोत डॉक्टर बन गईं। एक प्रकार से इन्होंने भारत के साथ-साथ राजस्थान की लड़कियों के लिए भी शिक्षा व स्वास्थ्यय के लिए दरवाजे खोल दिए थे। पार्वती ने दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई की थीं। वाकई में इनका डॉक्टरी करना राजस्थानी लड़कियों के लिए वरदान बना।

पार्वती को डॉक्टर बनाने में परिवार ने पूरा किया सपोर्ट

जिस दौर में महिलाएं चौखट के बाहर ना आती हों और समाज भी महिला विरोधी हो, ऐसे में एक लड़की का डॉक्टर पढ़ पाना संभव है क्या? हां, ये संभव है अगर परिवार साथ हो और खुद की इच्छा हो। इसलिए पार्वती का डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने में परिवार ने पूरा सहयोग किय।
पार्वती गहलोत का जन्म जोधपुर के (मारवाड़ रियासत) 21 जनवरी, 1903 को हुआ। उनके पिता का नाम प्रताप गहलोत जो एक शिक्षा प्रेमी तथा प्रगतिशील सामाजिक विचारों के प्रबुद्ध व्यक्ति माने जाते थे। व्यापारी चाचा सालगराम जी गहलोत ने पार्वती के शिक्षण का आर्थिक भार उठाया था। साथ ही पार्वती गहलोत प्रख्यात इतिहासकार और समाजसुधारक जगदीश सिंह गहलोत की भतीजी थी, इनका भी पूरा सहयोग मिला था।

पढ़ाई में टॉपर थीं डॉक्टर पार्वती

ना केवल भारत में बल्कि डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए पार्वती इंग्लैंड भी गईं। डॉ. पार्वती गहलोत की कुशाग्रता, दक्षता और कर्तव्यनिष्ठा से प्रभावित होकर मारवाड़ रियासत के महाराजा ने उन्हें इंग्लैण्ड में उच्च शिक्षा के लिए भेजा था। सन् 1936 में वह इंग्लैण्ड से लौटकर राजस्थान की प्रथम महिला डॉक्टर बनीं जो विलायत में शिक्षा प्राप्त की थीं।

इलाज के लिए ‘ड्यूटी’ का कोई समय नहीं- डॉ. पार्वती

डॉ. पार्वती भारत लौटने के बाद यहां मरीजों की 24X7 सेवा करती थीं। खासकर अशिक्षित पिछड़े परिवार की स्त्रियों हेतु उनके दरवाजे हमेशा खुले रहते थे। बीमार महिला की सेवा वो डॉक्टर नहीं बल्कि अभिभावक बनकर करती थीं। बता दें, जोधपुर के महाराजा उन्हें वेतन के रूप में 100 रुपए का मासिक सवारी भत्ता देते थे। स्थानीय उम्मेद अस्पताल की अधीक्षिका के पद पर काफी सालों तक सेवा देती रहीं।
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इस तरह से वो डॉक्टर व समाज सेविका बनकर सेवा देती थीं। जब तक वो जीवित रहीं मरीजों की सेवा में रहीं। 27 अक्टूबर, 1988 को जोधपुर की इस महान विभूति का देहावसान हुआ था।

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