यह वही प्रमोद कुमार उपाध्याय है, जिसे पुलिस और एसटीएफ ने मिल कर 100 से अधिक सैन्य परिवारों को सस्ते प्लॉट का झांसा देकर करोड़ों रुपये ठगने के आरोप में रविवार रात गिरफ्तार कर लिया।
मार्च में दर्ज हुआ था केस
मार्च में आरोपी प्रमोद के खिलाफ महाराष्ट्र के पुणे की लक्ष्मी देवी ने मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने प्लाट के लिए 10 लाख रुपये दिए थे। रजिस्ट्री भी हो गई थी। वह मोहनलालगंज कान्हा उपवन कंपनी की लोकेशन पर पहुंचीं तो पता चला कि वहां जमीन ही नहीं है। इसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ तो एसीपी रजनीश वर्मा ने फाइल खोली। तमाम पुराने मुकदमों का पता चला। नए मुकदमें भी दर्ज हुए। इसके बाद पुलिस की चार टीमें और एसटीएफ की एक टीम ने तलाश शुरू की। उस पर 25 हजार का इनाम भी घोषित था।
पुलिस से साठगांठ के लिए बनवाया था गेट
प्रमोद कुमार उपाध्याय ने अपनी पैठ बनाने के लिए थाने का गेट बनवाया। इसके अलावा उसने पुलिस चौकी का मेंटीनेंस करवाया। थाने में उसका उठना-बैठना था। बीते मार्च से लेकर जून तक उसके खिलाफ विभिन्न थानों में 19 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। अन्य मुकदमे पहले के हैं। सैन्य परिवारों में पैठ बनाने के लिए अपनाया यह तरीका
प्रमोद ने सैन्य कर्मियों में पैठ बनाने के लिए दो शहीदों के आश्रितों को निशुल्क प्लॉट दिए थे। कानपुर के दोनों शहीदों के परिवारीजनों को उसने नवबंर 2017 में मोहनलालगंज बुलाया था। वहां एक बड़े कार्यक्रम में प्रसिद्ध भागवताचार्य के जरिए दोनों परिवारों को प्लाट की रजिस्ट्री भी दी थी। इससे उसकी सैन्य परिवारों में लोकप्रियता और भी बढ़ गई।