CM योगी का एक्शन मोड, 127 PCS अधिकारियों को दी गई नई जिम्मेदारी
- “नहीं, मैं तो स्कूल जाना चाहती हूं…” बच्ची की जवाबी हाजिरजवाबी
मुख्यमंत्री जब बच्ची के पास पहुंचे, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए उससे पूछा,
“तू स्कूल नहीं जाना चाहती?”
इस पर वाची ने तपाक से उत्तर दिया,
“नहीं, मैं तो स्कूल जाना चाहती हूं। आप मेरा एडमिशन करवा दीजिए।” - मुख्यमंत्री इस जवाब पर मुस्कुरा उठे और फिर पूछा,
“कौन सी क्लास में?”
बच्ची थोड़ी झेंपी लेकिन उसकी बेबाकी कायम रही—
“अरे मुझे तो क्लास का नाम नहीं पता!”
“इस बच्ची का एडमिशन हर हाल में करवाया जाए।”

‘जनता दर्शन’ में मानवता का अद्भुत उदाहरण
जहां जनता दर्शन में आए लोग अपनी-अपनी फरियादों को लेकर चिंतित नजर आ रहे थे, वहीं यह दृश्य एक राहत और सुकून का पल बन गया। बच्ची की मासूमियत और मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता ने एक सकारात्मक संदेश दिया। लोगों ने उस क्षण अपने गम भूलकर मुस्कुराना शुरू कर दिया। यह केवल एक बच्ची का स्कूल में दाखिला नहीं, बल्कि उस भावना का सम्मान था जो हर बच्चे के अंदर सीखने और आगे बढ़ने की इच्छा के रूप में पलती है।सिपाही से पहले 4543 दरोगाओं की होगी भर्ती: 24 हजार पदों पर भर्तियों का रास्ता साफ
सख्त प्रशासक, लेकिन संवेदनशील हृदय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आम तौर पर एक अनुशासनप्रिय और निर्णायक नेता के रूप में जाना जाता है। लेकिन बच्चों के साथ उनकी आत्मीयता का यह रूप नया नहीं है। चाहे किसी स्कूल का दौरा हो, बाल मेलों में शामिल होना हो या किसी कार्यक्रम में बच्चों की प्रस्तुति वे हमेशा बच्चों के साथ सहजता से संवाद करते हैं। उनके गोरखपुर स्थित आवास में भी जब वे गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में रहते हैं, वहां बच्चों से मेलजोल और उनका उत्साहवर्धन उनकी दिनचर्या का हिस्सा होता है।बकरी पालन से बनेगा रोजगार का रास्ता, SC वर्ग को मिलेगी नई उड़ान
वाची की मुस्कान और एक उम्मीद
जनता दर्शन से निकलते ही वाची ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं योगी जी से मिलकर आई हूं। मैंने उनसे कहा कि मुझे स्कूल जाना है, एडमिशन करवा दीजिए। उन्होंने कहा – करवा देंगे। फिर उन्होंने मुझे चॉकलेट और बिस्किट भी दी।”वाची की यह बात सुनकर वहां खड़े लोगों की आंखें नम हो गईं और दिल से एक ही बात निकली “योगी जी दिल जीत लेते हैं।”
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शिक्षा के अधिकार को ठोस जमीन
वाची का यह प्रकरण केवल एक भावुक क्षण नहीं, बल्कि यह उत्तर प्रदेश में शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता और सरकार की प्राथमिकता को भी दर्शाता है। बच्ची का आत्मविश्वास यह संकेत देता है कि जब बच्चों को खुलकर बोलने का मौका मिलता है, तो वे अपनी जरूरतें और सपने स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं। मुख्यमंत्री की इस त्वरित कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि शिक्षा किसी एक विभाग या आंकड़े का विषय नहीं, बल्कि भविष्य की नींव है, जिसे लेकर सरकार गंभीर और सजग है।लखनऊ को ट्रैफिक जाम से मिलेगी राहत, 1000 करोड़ की लागत से बनेंगे 46 नए ओवरब्रिज
सोशल मीडिया पर भी छाया वाची-योगी संवाद
यह संवाद कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर वाची की मासूमियत और मुख्यमंत्री की मानवीय प्रतिक्रिया की जमकर सराहना हो रही है। यूजर्स ने लिखा:- “यह है सच्ची जनसेवा!”
- “बच्चों की मुस्कान ही असली राजनीति है।”
- “योगी जी का दिल बहुत बड़ा है, वाची की हिम्मत को सलाम!”