ट्रांसफर की क्रमवार कहानी
6 जनवरी 2025 को शासनादेश जारी हुआ जिसमें परस्पर सहमति से हो रहे स्थानांतरणों को तत्काल प्रभाव से शुरू करने का निर्देश था। शिक्षक–शिक्षिकाओं ने अपनी इच्छा व्यक्त की जिस पर बेसिक शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन सत्यापन करके एनआईसी लखनऊ द्वारा विकसित सॉफ़्टवेयर में 28 मई को कुल 3687 जोड़ों (7374 कर्मियों) की अंतिम सूची जारी की। इन शिक्षकों ने 5 जून तक नए जिलों/विद्यालयों में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया। इसी क्रम में शिक्षक,शिक्षिकाओं ने ऑन-ड्यूटी उपस्थिति रजिस्टर (21–23 जून) तक दिया, लेकिन आईडी ट्रांसफर न होने के कारण उनका जून वेतन सिस्टम में नहीं गया।
आईडी ट्रांसफर क्यों जरूरी
मानव सम्पदा आईडी प्रत्येक शिक्षक की पहचान होती है, जो उपस्थिति, वेतन और अन्य सेवाओं के लिए सिस्टम में दर्ज होती है। आईडी ट्रांसफर न होने से नये जिले के सॉफ़्टवेयर में वेतन खाते जुड़ नहीं रहे; परिणामस्वरूप जून माह का वेतन लोगो तक नहीं जा रहा। बताया जा रहा है कि 21–23 जून तक की उपस्थिति जानकारी दर्ज होने के बाद सिस्टम द्वारा बंद कर दी जाती है। यदि उस दौरान नई आईडी ट्रांसफर नहीं हुई, तो वेतन स्वचालित रूप से कट जाएगा।
शिक्षकों की आवाज़ और चिंता
शिक्षिका रीना शर्मा (नाम बदल कर), जो प्रतापगढ़ से सुलतानपुर ट्रांसफर हुई हैं, ने बताया कि “नई जगह में जून तक काम तो कर लिया, लेकिन वेतन नहीं आया. बच्चों को स्टेशनरी खरीदना भी मुश्किल हो गया है।”सरोज वर्मा, जो गोंडा से अयोध्या गई, कहती हैं कि “बिना वेतन हमारे सामने आर्थिक संकट आ गया है, क्योंकि किराया-खाना देना पड़ा रहा है।” शिक्षकों की ओर से कार्मिक विभाग और बेसिक शिक्षा परिषद से बार–बार संपर्क करने के बावजूद अभी तक कोई समाधान नहीं आया है।
जिम्मेदार विभाग क्या कह रहें
बेसिक शिक्षा परिषद का कहना है कि “आईडी ट्रांसफर का कार्य एनआईसी लखनऊ के माध्यम से होता है। हम फॉलो-अप कर रहे हैं और जल्द ही यह कार्य पूरा कराया जाएगा।” मनुष्य संसाधन (HR) विभाग ने बताया कि “तकनीकी प्रक्रिया में कुछ बाधा बनी हुई है। प्रक्रिया पूरी होते ही वेतन स्वतः बैंक खाते में आ जाएगा।” उधर एनआईसी लखनऊ की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी नहीं मिली है।
समय सीमा और वेतन कटौती की आशंका
जैसा कि उल्लेखित है, 21–23 जून की उपस्थिति के बाद सिस्टम लॉक हो गया। यदि इसके तुरंत बाद आईडी ट्रांसफर नहीं हुई, तो सिस्टम बिना वेतन के जून महीने को समाप्त कर देगा। परिणामस्वरूप जुलाई 2025 में जून वेतन कमी के साथ आ सकता है या एकमुश्त जारी नहीं होगा।
शिक्षा नीति विशेषज्ञ डॉ. जगदीश अवस्थी कहते हैं कि “इस तरह की तकनीकी गड़बड़ी शिक्षकों के लिए मानसिक परेशानी बढ़ाती है। वेतन बगैर आईडी अपडेट न केवल वित्तीय समस्या है, बल्कि उनमें प्रशासनिक कार्यप्रणाली को लेकर विश्वास डिगता है।” तकनीकी समन्वय विशेषज्ञ अमित त्रिपाठी बताते हैं कि “एनआईसी और विभाग के डिजिटल इकोसिस्टम में समय पर डाटा अपडेट न होने से ऐसी समस्याएंं आती हैं। एक मजबूत रिमोट मॉनिटरिंग व ऑटो रिमाइंडर सिस्टम से ट्रांसफर प्रक्रिया में सुधार हो सकता है।”
शिक्षकों पर क्या असर
वित्तीय दबाव से शिक्षकों की मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। कई अस्थायी और सफ़र में रहने वाले शिक्षकों का खर्चा बढ़ गया है। बच्चों की शिक्षा और समय पर विद्यालय सामग्री उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण हो गया। बेसिक शिक्षा परिषद तकनीकी नियंत्रण का निरीक्षण कर रही है। एनआईसी को रिमोट ऑडिट और कोड रिव्यू के सुझाव दिए गए हैं। अधिकारियों द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि 72 घंटे के भीतर आईडी ट्रांसफर पूरी हो और जून वेतन जुलाई की शुरुआत से पहले शिक्षकों के खाते में आए।
अन्य राज्यों से तुलना
दिल्ली, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इंटर-डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर सिस्टम गतिशील है, और वहां स्वचालित रूप से ID update और वेतन ट्रांसफर होता है। यूपी में टीचर्स ट्रांसफर की प्रक्रिया अभी भी अर्ध–मैन्युअल और व्यवस्थागत देरी से ग्रस्त है।
सुझाव
- ऑटो रिमाइंडर: ट्रांसफर के बाद 48 घंटे में आईडी अपडेट सुनिश्चित करें।
- मुफ्त हेल्पलाइन अवेलिबिलिटी: शिक्षकों के लिए ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग हेल्पलाइन उपलब्ध होनी चाहिए।
- तकनीकी निगरानी: विभागों में सिस्टम इंटीग्रेशन में कोड-ऑडिट जरूरी है।
- आपातकालीन वेतन सुविधा: तकनीकी विफलता स्थिति में वर्कअराउंड सिस्टम, जैसे ट्रांजिशन मैनुअल ऑपरेशन के जरिए वेतन तत्काल पहुंचाया जाना चाहिए।