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लखनऊ

Kirana Market India Pakistan Tension: सीमा पर जंग, रसोई में तंग: मसालों की ठंडी महक और मेवों की जलती कीमतें 

Kirana Market Update :  भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर अब आम जनता की रसोई तक पहुंच गया है। सीमा बंद होने के कारण जहां गरम मसालों के दाम गिर गए हैं, वहीं सूखे मेवे महंगे हो गए हैं। आयात-निर्यात में रुकावट के चलते किराना बाजार में अस्थिरता साफ दिख रही है।

लखनऊMay 09, 2025 / 02:35 pm

Ritesh Singh

भारत-पाक तनाव के बीच मसालों का निर्यात बंद, मेवों का आयात बाधित; किराना बाजार में भारी उतार-चढ़ाव, उपभोक्ताओं पर महंगाई का असर।

भारत-पाक तनाव के बीच मसालों का निर्यात बंद, मेवों का आयात बाधित; किराना बाजार में भारी उतार-चढ़ाव, उपभोक्ताओं पर महंगाई का असर।

Kirana Bazar India Pakistan Tension: भारत-पाकिस्तान के बीच गहराते तनाव का असर केवल कूटनीति और सुरक्षा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब इसका सीधा प्रभाव आम जनता की रसोई तक पहुंच गया है। भारतीय मसाले, जिनकी खुशबू और स्वाद पूरी दुनिया में मशहूर है, अब पाकिस्तान की रसोई से गायब हो रहे हैं। वहीं भारत की थाली से सूखे मेवे भी धीरे-धीरे खिसकते नजर आ रहे हैं। वजह साफ है, सीमा पर बिगड़ते हालात और उसके चलते आयात-निर्यात की ठप होती गतिविधियां।
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मसालों की खेप पर ब्रेक

लखनऊ किराना कमेटी के कोषाध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल के अनुसार, पाकिस्तान के व्यंजन भारतीय मसालों के बिना अधूरे हैं। भारत से काली मिर्च, लाल मिर्च, दालचीनी, जीरा, बड़ी व छोटी इलायची, तेजपत्ता जैसे मसाले भारी मात्रा में पाकिस्तान निर्यात किए जाते थे। लेकिन हाल के घटनाक्रम, विशेष रूप से पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर के चलते, सीमा पार व्यापार पर पूर्ण विराम लग गया है।
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स्थानीय बाजार में मसालों की भरमार लेकिन गिरते दाम

भारत से मसालों की खेप अब पाकिस्तान नहीं जा पा रही, जिससे इन मसालों की घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ गई है। मांग स्थिर है लेकिन आपूर्ति बढ़ी है, परिणामस्वरूप कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। उदाहरण के तौर पर:
  • बड़ी इलायची ₹1500 से घटकर ₹1300 प्रति किलो
  • काली मिर्च ₹700 से ₹600 प्रति किलो
  • जीरा ₹280 से ₹240 प्रति किलो
  • दालचीनी ₹230 से ₹200 प्रति किलो

महंगे होते मेवे: आयात पर लगी लगाम

वहीं दूसरी ओर भारत में बिकने वाले अधिकांश सूखे मेवे जैसे अखरोट, पिस्ता, छुहारा और मुनक्का, पाकिस्तान व अफगानिस्तान से आयात होते थे। इनका भारत में प्रवेश मुख्य रूप से अटारी-वाघा बॉर्डर से होता था। लेकिन सीमा बंद होने से ये रास्ता अवरुद्ध हो गया है। अब व्यापारियों को वैकल्पिक मार्गों,जैसे ईरान, दुबई या मध्य एशिया के रास्तों से मेवे मंगवाने पड़ रहे हैं, जिससे आयात लागत बढ़ गई है। इसका सीधा असर बाजार कीमतों पर पड़ रहा है।
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बढ़ती कीमतें

  • अखरोट ₹1000 से ₹1100 प्रति किलो
  • पिस्ता ₹1200 से ₹1300 प्रति किलो
  • मुनक्का ₹500 से ₹550 प्रति किलो
  • छुहारा ₹150 से ₹200 प्रति किलो
बाजार में सतर्कता और अनिश्चितता: लखनऊ किराना कमेटी के महामंत्री प्रशांत गर्ग का मानना है कि आने वाले दिनों में मेवों की कीमतें और बढ़ सकती हैं, क्योंकि नई खेप मंगाना न केवल महंगा होगा, बल्कि समय भी अधिक लगेगा। वहीं मसालों की कीमतें यदि घरेलू खपत नहीं बढ़ी, तो और गिर सकती हैं।
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सरकार की भूमिका और उपभोक्ताओं की चिंता: जहां व्यापार मंडल केंद्र सरकार से आयात-निर्यात नीति में लचीलापन लाने की अपील कर रहा है, वहीं उपभोक्ता भी दहशत में हैं। विशेष रूप से रमज़ान और आगामी त्योहारों को देखते हुए, सूखे मेवों की मांग उच्चतम स्तर पर होती है। ऐसे में कीमतों का यह उछाल बजट बिगाड़ सकता है।

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